गौवंश के प्रति दिखी सच्ची श्रद्धा, समर्पण और सेवा का भाव
वल्लभनगर (उदयपुर, राजस्थान/ मुकेश मेनारिया) भारतीय संस्कृति में गोवंश को माता का दर्जा दिया गया है ।वहीं गोवंश के प्रति सेवा, समर्पण से पुण्य लाभ मिलने का भी हिंदू संस्कृति में वर्णन किया गया है ।
इसी तहत क्षेत्र में ऐसा मामला देखने को मिला जहां पर लंबे समय से बीमार चल रहे गोवंश की सेवा की वहीं गोवंश के निधन के बाद उसे भारतीय हिंदू सभ्यता के अनुसार शव यात्रा निकालना एवं गोवंश को माता स्वरूप दर्जा देते हुए स्ट्रचु बनाने की पहल भी शुरू हुई। मिली जानकारी के अनुसार उपखंड क्षेत्र के केदारिया गाव के युवाओं द्वारा गौमाता गोवंश के प्रति सेवा समर्पण भाव देखा गया ।
वहीं बीमार गाय कई महीनों से केदारिया महादेव मंदिर के आसपास ही रहती थी। जब वहाँ के युवाओं को इस बारे में पता चला तो गाय का इलाज करवाया । युवा एवं गौ भक्तों द्वारा सुबह शाम गाय की सेवा में लगे रहे । किसी ने घास तो किसी ने रोटी लाकर खिला कर गोवंश की सेवा की। लंबी बीमारी के चलते पिछले11 दिन पूर्व गाय का देहांत हो गया। गाय को माता का दर्जा देते हुए उन्होंन गोवंश के प्रति श्रद्धा दिखाते हुए शव यात्रा निकाल कर विधिवत क्रिया कर्म करते हुए गाय को समाधि दिलाई । एक आम इंसान की तरह गाय की शवयात्रा निकली थी। गौ सेवकों ने गाय को कंधा दी और सम्मान के साथ उसे समाधि दिलाई गई । और युवाओं ने बताया कि जल्द ही समाधि स्थल पर गौमाता का स्टैचू भी लगाएंगे।
- गौमाता के नाम भजन संध्या--
शुक्रवार रात्रि गांव के युवाओं ने गौमाता कि याद में केदारिया महादेव मंदिर परिसर भजन कीर्तन का आयोजन किया और शनिवार को स्कूल के बच्चो को भोजन करवाया गया।गांव के युवाओं ने बताया कि गाय हमारी वास्तविक माता के समान है। जिस प्रकार हम अपनी मां का दूध पीते हैं ठीक उसी प्रकार हम गौ माता का दूध पीते हैं। गौमाता के अंदर 33 करोड़ देवी-देवता निवास करते हैं। इसलिए मृत्यु के बाद हमें उनकी अंतिम विदाई विधि विघान के साथ करनी चाहिए। समाधि देने के लिए संध्या गिरी महाराज, ललित, सुनील, अजय, कैलाश, पुरण, भैरू माराज, राजेश शर्मा सहित अनेक गौभक्तों ने गौमाता को अंतिम विदाई दी। गोवंश के प्रति क्षेत्र में युवाओं द्वारा अनूठा सेवा समर्पण भाव देखने से हर कोई तारीफ के पुल बांध रहा है।