अपने देश की अमूल्य व महान संस्कृति को समझे व अपनाए:- श्री हरि चैतन्य महाप्रभु
कामां (भरतपुर,राजस्थान) श्री हरिकृपा पीठाधीश्वर एवं भारत के महान सुप्रसिद्ध युवा संत श्री श्री 1008 स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने आज यहाँ श्री हरिकृपा आश्रम में उपस्थित भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि अपने देश की अमूल्य व महान संस्कृति को समझें व अपनाएं ! पाश्चात्य सभ्यता के अंधानुकरण को त्याग कर संस्कृति के अनुसार जीवन जीए,यदि ना जी सकें तो कम से कम विकृति परिपूर्ण जीवन जीने की कोशिश ना करें !
महाराज श्री ने कहा कि मेरे प्यारे वतन व इसकी महान व अमूल्य संस्कृति पर गर्व है व सभी भारतवासियों को होना भी चाहिए !विश्व बंधुत्व,सर्वे भवन्तु सुखिन: व वसुधैव कुटुम्बकम का भाव रखती है हमारी भारतीय संस्कृति ! जिसकी आन,बान,शान को बनाए रखने के लिए असंख्य भारत माँ के सपूतों ने अपनी क़ुर्बानियाँ हमेशा से दी है ,जिसका गौरव बढ़ाने व बरकरार रखने के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया ! हमें उन क़ुर्बानियों को व्यर्थ नहीं जाने देना है तथा स्वयं भी आत्मनिरीक्षण करके जानना है कि अपनी भारत माँ को जगद्गुरु के पद पर प्रतिष्ठापित करने, इसकी आज़ादी को बरकरार रखने व शांति का साम्राज्य स्थापित करने में हमारा क्या योगदान है? अधिकारों के लिए लोग आज जागरूक हुए हैं लेकिन हमारा कर्तव्य क्या है इसे भी पहुँचाने व पालन करे !
महाराज श्री ने कहा कि विश्व शांति के अग्रदूत हमारे देश में आज अशांति दुर्भाग्यपूर्ण व चिंता का विषय है ,समय रहते जागरूक होकर नि स्वार्थ भाव से मिल जुलकर राष्ट्र व समाजहित को सर्वोपरि रखते हुए यदि समुचित प्रयास किए जाएं तो यहाँ भी शांति होगी ही तथा एक बार फिर संपूर्ण विश्व में शांति का संदेश यही से गूंज उठेगा!
- रिपोर्ट- हरिओम मीणा