डॉक्टर एवं नर्सिंग कर्मियों को कोरोना महामारी में नौकरी से निकाल कर किया बेरोजगार
भीलवाड़ा (राजस्थान/ राजकुमार गोयल) राजस्थान प्रदेश में चल रही कोरोना वैश्विक महामारी आज अपना विकराल रूप ले चुकी है इस महामारी में स्वास्थ्य कर्मी दिन रात ड्यूटी करके अपनी सेवाएं दे रहे हैं जिस भीलवाड़ा Covid-19 मॉडल को पूरा विश्व मैंने माना था| इस भीलवाड़ा मॉडल को सफल बनाने में डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी आज अपनी नौकरी बचाने के लिए विगत 5 दिनों से स्वास्थ्य विभाग राजस्थान सरकार एवं महाराव शेखा जी क्षेत्रीय अंतः स्रावी ग्रंथि विकास अनुसंधान जयपुर के चक्कर लगा रहे हैं अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र जी मोदी जी के यशस्वी योजना एनपीसीडीसीएस आयुष योजना देश के 6 राज्य में चलाई गई जिसमें डॉक्टर व अन्य स्वास्थ्य कर्मी कार्यरत हैं जिनकी सेवाएं 30 अप्रैल 2021 को समाप्त कर दी गई सभी कर्मचारियों को बेरोजगार कर दिया गया है जहां एक और केंद्र सरकार 100 दिन के कार्य पर स्वास्थ्य कर्मियों को लाभ दे रही है वही एनपीसीडीसीएस आयुष कर्मचारियों को 5 साल 6 माह की सेवाएं समाप्त कर दी गई है यह कैसा दुर्व्यवहार किया जा रहा है बेरोजगार हुए डॉक्टर रफीक खान ने बताया कि एक तरफ माननीय प्रधानमंत्री महोदयजी कह रहे हैं की 100 दिन की कोरोना में ड्यूटी करने पर चिकित्सक एवं नर्सिंग कर्मियों को अन्य चिकित्सा सेवाओं के अतिरिक्त लाभ दिया जाएगा जबकि हम आयुष कर्मी पिछले मार्च 2020 से अप्रैल 2021 तक लगातार कोरोना में ड्यूटी कर रहे हैं जिसके उपहार में आयुष मंत्रालय ने सभी चिकित्सक व अन्य स्वास्थ्यकर्मी को बेरोजगार कर दिया हम मीडिया के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री जी को अवगत कराना चाहते हैं कि हम लगातार 100 दिन से अधिक कोरोना में ड्यूटी करने के लिए तैयार है बशर्ते हमें नौकरी से नहीं निकाला जाए जो स्वास्थ्य कर्मी कोरोना में ड्यूटी करते हुए कोरोना से संक्रमित हो गए हैं उन्हें अगर कुछ हो जाता है तो उसकी परिवार की जिम्मेदारी कौन लेगा यह हम आयुष मंत्रालय से पूछना चाहते हैं