गरीब की गुदड़ी तक पहुंची सर्दी, छूटी धूजणी
राजस्थान-
पिछले तीन दिन से मौसम में अचानक आए बदलाव के साथ ही तापमान में लगातार गिरावट आई है । सर्द हवाएं चलने से शाम होते ही बाजारों में सन्नाटा पसरने लगा है।सर्दी का सितम इस कदर है कि गरीब की गुदड़ी भी सर्दी को रोक पाने में विफल साबित हो रही है।गुदड़ी बिछाकर-ओढ़कर सोने के बाद भी गरीब के शरीर विशेषकर हाथ पैरों को गर्माहट का अहसास नहीं हो पा रहा है।चूंकि गरीब है इसीलिए वे अलाव का सहारा लेकर तापमान को नियंत्रण करने का प्रयास कर रहे है।कमबख्त गरीब आदमी की सर्दी धूजणी छुड़ा कर दांत कट कट करने पर मजबूर कर देती है वहीं गर्मी गरीब आदमी को झुलसा देने के साथ ही छप्पर में आग लगा देती है।बरसात भी गरीब आदमी पर रहम करने की बजाए बरसात का टपका छप्पर को पार कर खाट-गुदड़ी को आला कर देती है।जिले के एक मात्र मंत्री टीकाराम जूली की पार्टी लम्बे समय से गरीबी हटाओ का नारा अवश्य देती रही है लेकिन गरीब को गरीबी से छुटकारा आज तक नहीं दिला पाई बल्कि गरीबी हटाने का नारा देने वाले नेताओं की गरीबी अवश्य कई पीढ़ियों तक हट गई ।
इधर,पैसे वाले लोगों ने हर मौसम का इलाज ढूंढ कर पुख्ता इंतजाम कर लिए है। सर्दी का परमानेंट इलाज करने के लिए पैसे वाले लोग आलीशान मकान में रूम हीटर के आगे बैठकर च्वनप्राश या फिर शुगर फ्री च्वनप्राश तीन टाइम गर्म दूध के साथ खाने लगे है।खाने में भी कुछ बदलाव कर लिए है।उधर,कुछ लोग शरीर पर महंगे गर्म कपड़े पहन कर सर्दी का अहसास नहीं होने पर भी बेवजह सर्दी बढ़ गई कह कर सर्दी पर चर्चा कर मानो सर्दी विषय पर ही व्याख्यान कर गरीब को डरा रहे है।असल में सही मायने में इन्हें कीमती गर्म कपड़े पहनने के कारण सर्दी का तनिक भी अहसास नहीं होता लेकिन अनावश्यक हर मौसम के साथ सर्दी को लेकर भी चर्चा करने की आदत बनी हुई है।
राजीव श्रीवास्तव की रिपोर्ट