लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की 228वीं पुण्यतिथि पर गाडरी समाज द्वारा पुष्पांजलि अर्पण
गुरला (बद्री लाल माली)
गुरला:-गाडरी समाज महासभा राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष नारायण गाडरी ने बताया कि लोकमाता अहिल्या देवी की 228 वी पुण्यतिथि पर अहिल्या सर्किल गांधीनगर में शाम 7 बजे एक विशाल पुष्पांजलि कार्यक्रमआयोजित किया है ।कार्यक्रम के आयोजन सचिव नारायण रियार व युवा जिलाध्यक्ष देवी लाल मोयल सरपंच राजू गाडरी ने अपने युवा साथी राधे श्याम मोयल मांडल राधे श्याम भीलवाड़ा राजू लाल प्यार चंद पँवार पुर मोहन बणिया मोहन हाड़ा उमेश पूर्बिया भैरु हाड़ा भीलवाड़ा हिम्मत रियार जमना सप्पा श्याम लाल सप्पा बागोर देबी लाल पँवार पुर कॉलेज अध्यक्ष सुमित्रा पूर्बिया महासचिव माया पूर्बिया जमनी देवी चांदी देवी सुखी देवी नोसर देवी पूरण गाडरी भैरु गाडरी खायडा सहित सभी युवा टीम ने माल्यार्पण कर पूजा अर्चना की गई देवी अहिल्या बाई के नारे बोले गए । प्रदेश कोषाध्यक्ष भवानी शंकर गाडरी जिला अध्यक्ष केसू लाल सायला शंकर बिलिया खुर्द प्यार चंद पँवार उमेश पूर्बिया संपत पांसल देवी लाल नोगावा आदि समस्त गाडरी समाज व भारतवासी, अहिल्या देवी होल्कर को 228वी पुण्यतिथि के अवसर पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रृधा सुमन अर्पित किया।
देवी अहिल्याबाई होलकर का जन्म31मई1725और : निर्वाण 13अगस्त1795 का पूरा जीवन सँघर्ष पूर्ण रहा उनकी जीवन शिक्षाओं को प्रसाद स्वरूप अवश्य ग्रहण करे ताकि आने वाली पीढ़ी संस्कारित अवश्य बनें|
- गाडरी पूर्बिया धनगर गायरी जाति में जन्मीं, ऐसी महान पुण्यात्मा जोकि समस्त भारतीयों की ही नहीं, पूरे विश्व की महिलाओं की प्रेरणाश्रोत बनीं, जिन्होंने पुरूषों के वचस्व के काल में, महिलाओं की सैना बनाई, महिलाओं को उनका अधिकार दिलाया, महिलाओं को संरक्षण प्रदान किया| विश्ववंदनीय देवी अहिल्याबाई होलकर की सभी को शपथ दिलाई
महान मराठा सैनापति, धनगर कुलभूषण, होलकर राज्य संस्थापक श्रीमंत महाराज मल्हार राव होलकर जी की खोज, अहिल्याबाई शिंदे को होलकर महाराज ने अपने पुत्र खंडेराव होलकर से विवाह कर, उसे आजीवन अपनी पुत्री समान सम्मान दिया| इसी से उनकी प्रतिभा को आगे आने का मौका मिला| हम सभी भारतीयों को भी पुत्रवधू को, पुत्री समान अवसर देने ही चाहिए| श्रीमंत मल्हार राव होलकर महाराज ने| देवी अहिल्याबाई होलकर को चौंडी गांव, देवी अहिल्या नगर, महाराष्ट्र के उनके पिता मनकोजी शिंदे और इन्दौर, मध्यप्रदेश के उनके ससुर श्रीमंत मल्हार राव होलकर महाराज, दौनों के कुल का मान बढ़ाया । देवी अहिल्याबाई होलकर के सदप्रयास से, उनके पति श्रीमंत युवराज खंडेराव होलकर भी श्रेष्ठ सैनापति बने| जिन्हौंने दिल्ली तक अपनी श्रेष्ठता साबित करी| और दिल्ली के बादशाह ने, स्वयं आगे बढ़कर उनकी कमर में तलवार बांधकर उन्हें सम्मानित किया| श्रीमंत युवराज खंडेराव ने समस्त उत्तर भारत, पश्चिम भारत, मध्य भारत से चौथ लेने वाले धनगर मराठा होलकर राजे, श्रीमंत युवराज खंडेराव होलकर, - जाट राजा सूरजमल से चौथ लेने को भरतपुर, कुम्हेर घेराव के दौरान ही वीरगति को प्राप्त हुये| सती होने जा रही अहिल्याबाई होलकर को, - ससुर श्रीमंत मल्हार राव होलकर महाराज ने "तू ही मेरा खंडेराव है कहकर", खंडेराव के वचन "हिंन्दू धर्मस्थलों की पुनर्स्थापना" का वास्ता देकर, सती होने से बचाया| इस तरह अहिल्याबाई होलकर जी ने आगे का सारा जीवन धर्म संस्कृति की पुनर्स्थापना हेतु महासती के रूप में न्योछावर कर दिया।