सियासत: कांग्रेस प्रखर तो भाजपा मुखर
वैर (भरतपुर, राजस्थान/ कौशलेन्द्र दत्तात्रेय) चुनावी वैतरणी पार करने के लिए दोनों प्रमुख दलों ने अब एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोक दी है ।पूर्वी राजस्थान में चुनाव बिगुल एक तरह से बज ही गया है। भाजपा संभाग जीतने को मुखर हुई है तो कांग्रेस ने भी करवट बदलते हुए कार्यकर्ताओं को तवज्जो देते हुए दुलारना शुरू कर दिया है। विकास की गंगा बहाने की बात कहकर कांग्रेस योजनाओं का बखान कर रही है। वहीं भाजपा ने इसे कुशासन बताकर मोर्चा खोला है। कांग्रेस में अंदरूनी कलह किसी से छिपी नहीं है। यही वजह है कि कांग्रेस को जिलाध्यक्ष बनाने में करीब साढ़े चार साल का समय लग गया।चार मंत्री एवं दो दर्जा प्राप्त मंत्रियों की सौगात के सहारे कांग्रेस खुद को भरतपुर संभाग का हितैषी बताने से नहीं चूक रही है। सीएम भरतपुर संभाग दौरे में यह बात बता भी गए कि किसी भी सूरत में कांग्रेस के गढ़ में सेंध नहीं लगने देंगे। वहीं पूरब से अपना सूर्य उगाने को भाजपा ने पूरा लगा दिया है। चुनावी साल में भाजपा ने भरतपुर को नया जिलाध्यक्ष भी दे दिया तो प्रदेश स्तर पर भी बड़ा बदलाव करते हुए ब्राह्मण चेहरे को तवज्जो दी है। ऐसे में कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने में भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने भी इसी संभाग से प्रदेश की तस्वीर बदलने का बीड़ा उठाया था।
कार्यक्रमों ने पकड़ी रफ्तार
भाजपा ने चुनावी आहट के साथ ही द्वार द्वार तक जाने के लिए कार्यक्रम प्रारम्भ कर दिया है। वहीं कांग्रेस ने भी शिलान्यास एवं लोकार्पण कार्यक्रम धड़ाधड़ करना प्रारंभ्भ कर दिए हैं। जिससे आमजन के मध्य विकास को लेकर जाया जा सके। इससे उलट भाजपा की ओर से कांग्रेस की नाकामियों को उजागर कर केंद्र सरकार की उपलब्धियों को आम जन की जुवां तक लगातार लाने का प्रयास किया जा रहा है। कांग्रेस के मंत्री विधायक किसी भी कीमत पर सत्ता के सहारे फिर से मैदान में वापसी करने की फिराक में है। वहीं भाजपा देश हित से जुड़े मुद्दों को केंद्र में रखकर अपनी वैतरणी पार करने की जुगत बिठाती नज़र आ रही है।
बहुत कठिन है डगर .....
दोनों दलों की राह एकदम तो आसान नजर नहीं आती है। भाजपा कांग्रेस का फोकस पूरी तरह से इसी संभाग पर है। कांग्रेस सत्ता के सहारे बेहतर बजट और योजनाओं का बखान कर सत्ता में डटे रहने की पुरजोर कोशिश कर रही है। वहीं भाजपा इससे उलट केन्द्र सरकार की योजनाओं को देश हित में बताकर राजस्थान में बढते अपराध सहित अन्य मुद्दों को चुनावी मुद्दों में तब्दील कर जनता को अपना बनाने की फिराक में है। लेकिन वर्तमान में दोनों दलों की राह बहुत आसान नजर नहीं आ रही है।