जीवन का आनंद और आत्मा का सौंदर्य है संयम
लक्ष्मणगढ़ (अलवर, राजस्थान/ कमलेश जैन) दशलक्षण पर्युषण महापर्व के छठे दिन धूप दशमी उत्तम संयम धर्म मनाया गया। जैन पंडितों ने उत्तम संयम के विषय में बताते हुए कहा कि संयम के अभाव में मनुष्य का जीवन व्यर्थ है। संयम ही जीवन का सच्चा मार्ग दिखाता है। रविवार को कस्बे के आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर स्थित मे सीमित संख्या में सकल जैन समाज के श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। मंदिर में अध्यक्ष सुमेरचंद जैन ने उत्तम संयम धर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि संयम जीवन का आनंद और आत्मा का सौंदर्य है।
दिगंबर जैन मंदिर में जैन धर्म के 10 लक्षण पर्युषण महापर्व को सुगंध दशमी के उत्तम संयम धर्म के रूप में श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव के साथ मनाया। बताया कि 10 लक्षण पर्युषण का छठा दिन सुगंध दशमी उत्तम संयम के मार्ग बताता है। मनुष्य स्वयं के द्वारा अपने जीवन को अच्छा बना सकता है। मनुष्य को शास्त्रों का ज्ञान व श्रद्धा भाव अनंत है लेकिन संयम नहीं है तो उसके लिए जीवन बेकार है। संयम ही जीवन का सच्चा मार्ग दिखाता है। दिगंबर जैन मंदिर में दशलक्षण पर्व के छठे दिन उत्तम संयम धर्म धूप दशमी का पर्व मनाया गया। आज रविवार को शांति धारा का धर्म लाभ हुकम चंद जैन रावका परिवार द्वारा लिया गया। विधि विधान से पूजन पाठ किया गया। बताया गया कि संयम रहित जीवन मुर्दे के सिंगार की तरह अनुपयोगी होता है। संयम जीवन का आनंद है, आत्मा का सौंदर्य है, शक्ति प्राप्त करने का प्रमुख साधन है। संयम में इतनी ताकत है कि वह मनुष्य को नरक गति से बचा लेता है। विद्वानों का कहना है कि संयम के अभाव में व्यक्ति दुर्गतियों के चक्कर लगाता है। शाम को मंदिर में इस अवसर पर समाज के लोगों द्वारा अग्नि में धूप खेई गई। जिससे वातावरण सुगंधित हो गया।