दसलक्षण पर्व का दसवां दिन है उत्तम ब्रह्मचर्य
लक्ष्मणगढ़ (कमलेश जैन) उत्तम ब्रह्मचर्य ही श्रावक को संत बनाता है। और संत को अरिहंत बना देता है। दसलक्षण पर्व का दसवां दिन उत्तम ब्रह्मचर्य है। इस दिन को अनंत चतुर्दशी कहते हैं। और इस दिन लोग परमात्मा के समक्ष अखंड दिया जलाते हैं। इस दिन लोग खुद में सदभावों व सद्गुणों का पालन करने का संकल्प लेते हैं। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति को ब्रह्मांड का ज्ञान और शक्ति प्राप्त होती है।
दसलक्षण पर्व का हुआ समापन - समता से समता की आराधना करना ही अनंत चतुर्दशी का पावन पर्व आज अनंत चतुर्दशी के दिन दसलक्षण पर्व का समापन होता है। और इस दिन शाम को मंदिर में सभी भक्त जन एक साथ प्रतिक्रमण करते है। आश्विन कृष्ण प्रतिपदा पडवा के दिन क्षमा याचना पर्व मनाया जाता है ।पूरे साल में किये गए पाप और कटू वचन के लिए क्षमा याचना करते हैं। वह हर किसी से दिल से क्षमा मांगते हैं और एक-दूसरे से हाथ जोड कर व गले मिलकर मिच्छामी दूक्कडम कहते हैं, मन वचन काया से किसी भी तरह के लगे दोष की क्षमा याचना करते हैं ।जिसका अर्थ है सबको क्षमा सबसे क्षमा। यहां तक कि उस समय जो लोग उपस्थित नहीं थे, उनसे भी वह दूसरे दिन क्षमा याचना करते हैं। इस तरह दसलक्षण पर्व की समाप्ति होती है।
यूं तो दसलक्षण पर्व को केवल दस दिनों के लिए मनाया जाता है, लेकिन इस पर्व को मनाने के पीछे का मूल उद्देश्य आत्मा को शुद्ध बनाने के लिए आवश्यक उपक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना है। इन दस धर्म का पालन व्यक्ति को सिर्फ दस दिनों के लिए ही नहीं करना चाहिए, बल्कि अगर व्यक्ति अपने जीवन में इन धर्म का पालन करने का प्रयास करे तो वह खुद को सांसारिक दुखों से मुक्त करके एक संतोषजनक व सुखी जीवन व्यतीत कर सकता है।