मासिक धर्म पर करें खुलकर बात मासिक धर्म कोई पाप या गंदगी नहीं फिर क्यों छुपाए इसकी स्वच्छता को काले पैकेट में
खुली सोच एवं स्वच्छ मानसिकता से बदल सकते हैं मासिक धर्म की कुरीतियों को
बानसूर ब्लॉक की रहने वाली मनीषा सैनी जिन्हें पैड वूमेन के नाम से जाना जाता है मनीषा जी पिछले 10 सालों से स्वच्छ मासिक धर्म की जागरूकता को लेकर चर्चा में रही है आज भी इनका यह प्रयास लगातार रूप से जारी है ये अनेक मूहिमों से जुड़कर इस सामाजिक कुरीति को बदलने का प्रयास कर रही है कभी चुप्पी तोड़ो सयानी बनो तो कभी हथेली पर रेड डॉट्स द्वारा महिलाओं को जागरूक करने के प्रयास में जुटी हैं ग्रामीण क्षेत्र की स्कूली बालिकाओं से लेकर महिलाओं तक को अपनी टीम बनाकर कार्यशालाओं का आयोजन कर रही है साथ ही सेल्फ डिफेंस (आत्मरक्षा ) के गुर भी समझा रही है इन्होंने स्वयं ने सेनेटरी नैपकिन बनाने का प्रशिक्षण लेकर 1500 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया हैं ये जहां पर भी कार्यशाला करती हैं वहां पर महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन खुलकर वितरित करती हैं मनीषा जी कहती है कि पिछले कई वर्षों से मासिक धर्म को लेकर जो भ्रांतियां समाज में फैली पड़ी है आज भी हम उसे तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं पहले की अपेक्षा महिलाओं में इस विषय को लेकर काफी बदलाव आए हैं वे अपनी स्वच्छता के प्रति जागरूक बनी है बढ़ती उम्र में अपनी बच्चियों का ख्याल भी रख रही है मासिक धर्म के दौरान होने वाली पीड़ा झिझक को दूर करने का प्रयास किया है लेकिन आज भी हम इन भ्रांतियां को जड़ से खत्म करने में सफल नहीं हो पाए वह इसलिए क्योंकि आज भी महिलाएं पैड्स खरीदते समय उसे काली थैली में डालने के लिए कहती हैं क्यों? यह सोचने का विषय है हम इन कुरीतियों से उस दिन पार पाएंगे जब इन्हें आम वस्तु की तरह दुकान से खरीदेंगे और हमारा यह प्रयास तब तक जारी रहेगा जब तक समाज की यह छोटी सोच खुली मानसिकता में बदल ना जाए इसके साथ ही मनीषा जी महिलाओं को आत्मनिर्भरता का पाठ भी पढ़ाती है वे उन्हें स्वरोजगार संचालित कार्यों के लिए प्रेरित करती हैं वे उनके हुनर को पहचान कर उन्हें प्रशिक्षित करने में मदद करती है सिलाई बुनाई कढ़ाई जैसे कार्यों का प्रशिक्षण दिलाती है।