गुरला में गैर नृत्य का आयोजन: मेवाड़ के प्रसिद्ध गवरी नृत्य का आयोजन
राजसमंद जिले के 60 कलाकारों द्वारा गवरी नृत्य का हुआ आयोजन
गुरला (बद्रीलाल माली) -नेशनल हाईवे 758 गुरला स्थित रेगर मोहल्ला रोयडा बावजी के स्थान पर राजसमंद जिले के ईरा की पीपली गांव के 60 कलाकार रतुलाल भील उदयपुर द्वारा मेवाड़ का प्रसिद्ध गैर नृत्य का आयोजन किया गया । मेवाड़ क्षेत्र में भील जनजाति का गैर नृत्य प्रसिद्ध है। इस नृत्य को सावन भादो माह में किया जाता है।इसमें मांदल और थाली के प्रयोग के कारण इसे राई नृत्य के नाम से भी जाना जाता है। इसे केवल पुरुषों के द्वारा किया जाता है।
बादन संवाद , प्रस्तुतीकरण और लोक- संस्कृति के प्रतिको में मेवाड़ की गवरी निराली है। गवरी का उदभव शिव-भस्मासुर की कथा से माना जाता है।इसमें भील संस्कृति की प्रमुखता रहती है। यह पर्व आदिवासी जाति पर पौराणिक तथा सामाजिक प्रभाव की अभिव्यक्ति है। गवरी में मात्र पुरुष पात्र होते हैं। इसके खेलो में गणपति काना-गुजरी, जोगी, लाखा बंजारा, शिव पार्वती हटिया खेतु भोलिया भुत शंकरिया शंकरी जागड बंजारा डाणी महाराणा प्रताप भीलाराणा भाई बहन सासिया मीणा आदी का खेल होते हैं। इसमें शिव को पुरिया कहा जाता है। गुरला क्षेत्र के आस पास के सभी गांवों के लोग मोजुद रहे