खेती में जैविक खादो के इस्तेमाल से भी किसान कर सकता है अच्छी कमाई
खेती में अक्सर किसान रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं लेकिन कुछ किसान ऐसे भी है जो बिना रासायनिक उर्वरकों के अच्छी फसल कर रहे हैं ऐसे ही है एक किसान बानसूर के बालावास ग्राम पंचायत उदाकाबास गांव के रिटायर्ड स्कूल अध्यापक जगदीश प्रसाद यादव है
ये युवा जागृति संस्थान परना
नाबार्ड के सहयोग से गठित किसान क्लब के सदस्य भी है इन्होंने घर-घर केसीसी अभियान के तहत एसबीआई बैंक से 7 लाख की केसीसी लेकर कृषि में नवाचार करते हुए किसानों को समय-समय पर विभिन्न विभाग की स्कीमों से जोड़कर प्रगतिशील किसान के रूप में विकसित करने की दिशा में कार्य कर रहे है घर-घर केसीसी अभियान कृषि में नवाचार करने वाले किसानों के लिए आदर्श बनकर सामने आया है जगदीश प्रसाद जी ने कृषि में नवाचार के सफर को समेकित कृषि प्रणाली से शुरू किया जिससे ये लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गए, लोग जैविक खेती को लेकर तरह-तरह की बातें करते लेकिन इनके आत्मविश्वास ने इन्हें पीछे नहीं हटने दिया और इन्होंने किसानों से नए-नए तरीके पूछकर 5 बीघा जमीन पर जैविक फॉर्म तैयार किया साथ ही गोबर की खाद का प्रयोग कर इन्होंने रबी और खरीफ की फसल से अपने फार्म की शुरुआत कर गेहूं, सरसो, जौ, चना ,बाजरा का अच्छा उत्पादन किया इसके बाद इन्होंने सब्जियों के साथ-साथ मसालों का भी उत्पादन किया जिसमें इनके द्वारा राई मेथी सौंफ से भी अच्छा उत्पादन किया गया है हालांकि इन्हें इस बीच बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ा । इनका कहना है कि धरती से हम हैं हमसे धरती नहीं इसलिए इसका संरक्षण करना हमारी जिम्मेदारी बनती है रासायनिक उर्वरकों से खेती की उर्वरक क्षमता में कमी आई है मिट्टी दिन पर दिन प्रदूषित होती जा रही है जिससे लोगों में चर्म रोग, अस्थमा, डायबिटीज, हार्ट अटैक जैसी अनेक बीमारियां आमतौर पर देखी जा रही है इन सबसे निजात पाने के लिए इन्होंने अपनी खेती में जैविक खाद (वर्मी कंपोस्ट )का ही उपयोग किया है और अन्य किसानों को रासायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती को अपनाने की सलाह दी हैं इतना ही नहीं ये सब्जियों की व्यवसायिक खेती के साथ-साथ है मल्टी क्रॉपिंग के जरिए खेती का मुनाफा बढ़ाकर नया कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं साथ ही दूसरे लोगों को इसकी ट्रेनिंग देकर जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।