50 लाख वैदिक दीयों से रोशन होगी दिवाली *नाबार्ड के सहयोग से गठित कृषक उत्पादक संघ की महिलाएं बना रही इको फ्रेंडली उत्पाद
बानसूर,कोटपुतली-बहरोड़
युवा जागृति संस्थान व नाबार्ड के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहचान बना रही
राजस्थान के सिंह द्वारा कहलाने वाले कोटपुतली-बहरोड़ जिले के बानसूर ब्लॉक में युवा जागृति संस्थान द्वारा नाबार्ड के सहयोग से एलईडीपी प्रशिक्षण के अंतर्गत 150 महिलाओं को गत वर्ष गोधन के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया गया था इस गोधन के प्रशिक्षण से महिलाओं ने गाय के गोबर से लक्ष्मी गणेश प्रतिमा अगरबत्ती धूप का प्रशिक्षण लेकर दीपावली के अवसर पर काफी संख्या में उत्पाद तैयार कर महिलाओं द्वारा 17 लाख की कमाई की गई थी हमारे शास्त्रों में गाय के गोबर व गोमूत्र को पवित्र माना गया है इनमें साक्षात मां लक्ष्मी का वास होता है घर में सुख समृद्धि लाभ लाने वाले इन मांगलिक चिह्नों की तैयारी इस बार भी गणेश चतुर्थी से पहले से ही जुटी हुई है।
इस बार दीपावली के मौके पर जलेंगे* 50 लाख वैदिक दीपक
पिछले साल संपूर्ण भारत में नाबार्ड व युवा जागृति संस्थान के सहयोग से कृषक उत्पादक संघ की महिलाओं ने प्रदेश के अलग-अलग जिलों में स्टोंल्स लगाई प्रदेश के जयपुर नीमराना भरतपुर अलवर आदि जिलों से अन्य राज्यों तक इनकी पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंची है लोगों ने इन्हें सराहा है और काफी संख्या में नए आर्डर भी मिले हैं गांव की हॉट द्वारा ऑनलाइन ऑफलाइन आउटलेट्स स्थापित किए गए हैं महिलाएं अपने नाम की वेबसाइट बनाकर भी इनकी मार्केटिंग कर रही है।
इस बार गणेश चतुर्थी के त्यौहार के पहले से ही महिलाओं के चेहरे पर उत्साह दिख रहा है समूह की महिलाओं ने नाबार्ड के सहयोग से अपने घरों में ही मशीन स्थापित की है ताकि वे समय निकालकर कार्य कर सके महिलाएं प्रत्येक दिन 500 से 700 रुपए तक की कमाई कर रही है इस बार ये उत्पाद बनाने वाली महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने की खुशी सकारात्मक सोच की तरफ बढ़ा रही है। ये उत्पाद हर प्रकार से गुणकारी हैं हमें प्रकृति से पुनः जोड़ने वाले साबित हो रहे हैं पहला तो इनसे गौवंश को संरक्षण मिल रहा है दूसरा ये वैदिक व इको फ्रेंडली है इनके उपयोग के पश्चात इनका विसर्जन पेड़ के गमले में किया जा सकता है ताकि पौधे को ऑर्गेनिक खाद मिल सके इसे तैयार दीपक तेल नहीं सोखते हैं।