जन-जन की आस्था का केंद्र बना अलवर जिले का मां धोलागढ़ देवी का भव्य ऐतिहासिक मंदिर
लक्ष्मणगढ़ (अलवर ) कमलेश जैन
अलवर जिले के लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र के नजदीकी ग्राम पंचायत बहतुकलां स्थित अरावली की वादियो में मां धोलागढ़ देवी का ऐतिहासिक रमणीक भव्य प्राचीन मंदिर बना जन जन की आस्था का केंद्र राजस्थान प्रदेश ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के श्रद्धालु बड़ी तादात में पहुंचते हैं प्राचीन पहाड़ी के ऊपर माता रानी का भव्य मंदिर आकर्षण का केंद्र बना है। सैकड़ो वर्षों से माता रानी की यहां अखंड ज्योत जलती है। और वैशाख मास में माता का भव्य मेला भी लगता है। शारदीय व चैत्र मास के नवरात्रों में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आवागमन रहता है। परिवार की खुशहाली के लिए श्रद्धालु माता के दर पर ठोक लगाने आते हैं। यहां दिल्ली हरियाणा कोलकता मध्य प्रदेश चेन्नई महाराष्ट्र गुजरात उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के श्रद्धालु आते हैं। गुजरात के रमेश भाई के परिवार की अटूट मानता है हर वर्ष यहां पर पांच दिवसीय विशाल भंडारा माता के मंदिर पर करते हैं। इसी प्रकार भरतपुर और मथुरा से अनेकों परिवार आकर के माता के यहां भंडारे इत्यादि सहित अनेक सेवाएं देते हैं। माता रानी ने भी इनके अटूट भंडार भरे हुए हैं। माता रानी के मंदिर के निर्माण के पीछे कई क्विदतियां प्रसिद्ध है जिनमें से एक प्रचलित है कि कधैला नाम की कन्या पास के गांव बल्लपुरा रामगढ़ में डोडरावत तिवाड़ी ब्राह्मण परिवार में जन्मी थी । बचपन में ही उनके माता-पिता का स्वर्गवास हो जाने पर अपने भाई भाभी के साथ ही जीवन यापन करने लगी। रोज पास के पहाड़ी पर गायों को चराने जाया करती थी। और देर रात तक घर लौटती थी। एक दिन भाई को शक होने पर धौला के भाई ने पीछा किया उन्होंने देखा की वहां राजसभा में मुख्य देवी के सिंहासन पर धौला बैठी थी। भाई-भाभी को देख उसने वहीं अपने प्राण त्याग दिए। कालान्तर में लाखा नाम का एक बंजारा वहां से निकला और रात्रि विश्राम के लिए वहां रुका तभी वहां देवी प्रकट हुई और बोली इन गाठो में क्या है, उसने उत्तर में नमक बताया। जवाब पाकर देवी पहाड़ों में चली गई। सुबह जब बंजारे ने गाठो में नमक पाया तो वह करुण विलाप करने लगा। उसका करुण विलाप सुन देवी प्रकट हुई तो देवी के समक्ष माफी मांगी और उसका माल पहले जैसा हीरा-जवाहरात हो गया। व्यापारी ने वापस लौटते समय वहां एक मंदिर व कुण्ड बनवाया, जो आज भी विद्यमान है। शनै:-शनै:- इसका काफी विकास हो गया। देवी मैया के प्रति लोगों की इतनी अटूट श्रद्धा है कि नवविवाहित जोड़े जात देने, मन्नत मांगने, बच्चों की लटूरी उतरवाने धोलागढ़ देवी के दर्शनाथ श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं। श्रद्धालु आचार्य कपिल ने बताया कि उपखंड की एकमात्र देवी मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है और नवरात्रि में क्षेत्रीय सहित आसपास के श्रद्धालु दूरदराज के देवी के दर्शन करने आते हैं। भक्तों की संख्या नवरात्र में ज्यादा होती है। नौ दिन तक माता का आकर्षक शृंगार किया जाता है। आने को तो जगहों से माता रानी के भव्य मंदिर तक पैदल पदयात्राएं आती है जिसमें हजारों की संख्या में लोग एकत्रित रहते हैं माता के जय घोष करते हुए नाचते गाते माता के मंदिर पर श्रद्धालु आते हैं और माता के भाव जय घोष लगाते हैं।