महिलाओं द्वारा करवा चौथ की कहानी सुन सर्वार्थ सिद्धि योग में की चंद्रमा की पूजा
लक्ष्मणगढ़ (अलवर/कमलेश जैन) 01 नवम्बर बुधवार शाम 05 बजकर 36 मिनट से शाम 06 बजकर 54 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग है। करवा चौथ व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद किया गया। योग शिक्षक पंडित लोकेश कुमार ने बताया कि करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा गया। इस दिन कार्तिक संकष्टी चतुर्थी है। जिसे वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। करवा चौथ के दिन सुहागन महिलाओ और विवाह योग्य युवतियो ने अपने जीवनसाथी की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला व्रत किया । इस व्रत में चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य देना जरूरी है। इसके बिना करवा चौथ का व्रत पूरा नहीं होता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर दिन मंगलवार को रात 09 बजकर 30 मिनट से प्रारंभ हो गई है। जो कि आज 01 नवंबर बुधवार को रात 09 बजकर 19 मिनट पर खत्म होगी।
उदयातिथि और चतुर्थी के चंद्रोदय के आधार पर करवा चौथ व्रत 1 नवंबर बुधवार को रखा गया। व्रत सुबह 06 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 15 मिनट तक होगा। करवा चौथ पर चंद्रमा पूजन और अर्घ्य का समय चौथ के दिन चंद्रोदय रात 08 बजकर 15 मिनट पर होगा। चंद्रमा पूजन के साथ महिलाओं द्वारा अर्घ्य दिया गया । चंद्रमा को अर्घ्य देने पर ही व्रत पूरा माना जाता है ।
करवा चौथ का पारण समय- करवा चौथ व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद किया गया। पति के हाथों जल पीकर व्रत को पूरा किया गया। 1 नवंबर को रात 08:15 बजे के बाद ही पारण किया गया।