शिक्षक विश्नोई की अनुठी पहल: स्वयं भामाशाह बनकर विद्यालय की जर्जर रसोईघर को दिया आधुनिक रूप

रसोईघर का आधुनिकीकरण व कक्षा कक्ष के आगे रेम्प की मरम्मत के लिए खर्च किये 68000 रुपये

Nov 3, 2023 - 10:19
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शिक्षक विश्नोई की अनुठी पहल: स्वयं भामाशाह बनकर विद्यालय की जर्जर रसोईघर को दिया आधुनिक रूप

भीलवाड़ा ( राजकुमार गोयल)  धोरीमन्ना:- कुछ कर गुजरने के लिए मौसम नहीं मन चाहिए साधन सभी जुट जायेंगे बस संकल्प का धन चाहिए ये उक्तियां सही साबित कर दिखाई है राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पाबूबेरा में कार्यरत स्टेट अवार्डी शिक्षक जगदीश प्रसाद विश्नोई ने। जिन्होंने हमेशा विद्यालय के प्रति समर्पित होकर शिक्षण के साथ साथ विद्यालय की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए स्वयं भामाशाह के साथ साथ ग्रामीणों व अपने परिवार के सदस्यों से सहयोग लेकर पूरा करने का प्रयास किया है।विद्यालय परिसर में स्थित रसोईघर पुरानी होने के कारण जर्मर हो गयी थी जिसमें खाना पकाने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था तब शिक्षक विश्नोई का ध्यान रसोईघर की तरफ गया तो इन्होंने मरम्मत,ग्रैनाइट,टाइलें व रंगरोगन कराकर आधुनिक तकनीक युक्त बनाया ताकि इसमें हर वस्तु को व्यवस्थित रखा जा सके इसके अलावा कक्षा कक्ष के सामने जर्जर हो रहे रेम्प की भी मरम्मत कराकर उस पर टाइलें लगवा दी ताकि कई सालों तक काम आ सके।दोनों कार्यों के लिए शिक्षक विश्नोई ने स्वयं भामाशाह बनकर 68000 रु खर्च किये जो हम सबके लिए प्रेरणास्रोत का उदाहरण है इससे शिक्षक विश्नोई ने स्वयं भामाशाह के साथ साथ विद्यालय स्टाफ व ग्रामीणों को भामाशाह बनाकर मुख्य द्वार, ट्यूबवेल,टीवी,मंच का सौन्दर्य करण,फर्नीचर फिटिंग,चरण पादुका स्टेंड,मार्कर व्हाइट बोर्ड,स्टील स्पीच स्टेंड,कक्षा कक्ष में स्टूल टेबल सहित अन्य मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने का कार्य करवाया है।शिक्षक विश्नोई को उत्कृष्ट शैक्षिक कार्यों के राजस्थान सरकार द्वारा राज्य स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है इसके अलावा कई संस्थाओं राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है।

मोहनी (कुक कम हेल्पर) का क्या कहना है कि - विद्यालय परिसर में स्थित रसोईघर पुराना होने के कारण उसकी फर्श व दीवारें जर्जर हो चुकी थी हमें भोजन पकाने में कई समस्याओं का सामना करना पङ रहा था।शिक्षक विश्नोई ने स्वयं भामाशाह बनकर रसोईघर की केवल मरम्मत ही नहीं कराई बल्कि उनको आधुनिक रूप देकर घरों में है वैसी रसोईघर बना दी अब हम बहुत ही आरामदायक महसूस कर रहें हैं।
बांकाराम सेंवर (कारीगर)  का क्या कहना है कि - अध्यापन के साथ-साथ प्रधानाचार्य सहित सभी शिक्षक विद्यालय विकास के लिए हमेशा प्रयासरत रहते हैं जिसके कारण विद्यालय की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति समय पर हो जाती है।शिक्षक विश्नोई ने स्वयं भामाशाह बनकर रसोईघर का जो नवीन रूप दिया है वो बहुत ही काबिल ए तारीफ है ये छुट्टी के बाद स्वयं हमारे साथ काम लग जाते रंग रोगन का काम स्वयं ने किया।हम अपने आपको बहुत ही सौभाग्यशाली मानते हैं कि हमें ऐसा मेहनती व कर्तव्यनिष्ठ शिक्षक मिला।

भामाशाह व स्टेट अवार्डी शिक्षक जगदीश प्रसाद विश्नोई का क्या कहना है कि - ह्रदय में सेवाभाव होने के कारण मैं विद्यालय विकास के लिए शैक्षणिक व गैर-शैक्षणिक कार्यों से हमेशा नवाचार करने का प्रयास करता हूं जिसके लिए तन,मन व धन से सहयोग करने की कोशिश करता हूं इसी भाव और सोच के साथ मैंने रसोईघर को नवीन आकार देने की कोशिश की है। 

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