जिला प्रशासन हो रहा विफल: सड़क पटरियों पर अतिक्रमणकारीयों का कब्जा
वाहनो व पशुओ की भीडभाड, सड़क मार्ग पर विपरित दिशा में मजबूरन करनी पड़ रही ड्राइविंग,पैदल राहगीर सड़क के बीच
गोलाकाबास (अलवर) राजगढ़ उपखंड क्षेत्र के अलवर-दौसा मुख्य सड़क मार्ग गोलाकाबास में सड़क के चारों तरफ ठेला खड़ा कर अतिक्रमण तेजी से चला आ रहा है। जिसमें अतिक्रमणकारियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है। सड़क पटरियों पर अतिक्रमण के चलते आए दिन लंबी-लंबी कतारों में ट्रेफिक पैदा के साथ साथ एंबुलेंस जैसे आपातकालीन वाहन भी विवश व आए दिन दुर्घटनाएं टलती जा रही है।
लेकिन ठेले व रेहड़ी वाले अपनी व राहगीरों की जान की कीमत ना समझते हुए प्रतिदिन अपनी दुकान सड़क के किनारे लगाते आ रहे है। इसी के साथ थड़ी वाले अपनी दुकान सड़क के किनारे लगा दुकानदारी कर रहे। इन सभी के चलते सड़क के किनारे वाहन तथा पैदल राहगीरो को जगह नहीं मिलने पर पैदल राहगीर सड़क पर आमने-सामने वाहनों के बीचों बीच जान की बाजी लगा जबरन गुजरना पड़ रहा है। इस विकट समस्या में निजी पुलिस जवानों तक, ग्रामीण स्तर से जिला स्तर के छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों तक, जिले के आला प्रशासन का सहारा नही।
- क्या जिला प्रशासन अतिक्रमण, ट्रेफिक, राहगीर, तथा अन्य सभी सड़क मार्ग पर हो रही हल चल मूमेंट पर क्या आला प्रशासन खुश (प्रसन्न) है ?
- क्या पूरे भारत में इसी प्रकार व्यवस्थाएं चलती रहे ? क्या अलवर प्रशासन को इस समस्या का हल करने का हक नही? क्या जिला प्रशासन कानून से समस्याओं का निवारण कर राहगीरों को सड़क से स्वतंत्र नहीं करा सकते?
- यहां का माहौल बड़ा बिगड़ा हुआ है, लेकिन सभी प्रशासनिक मौन है। क्यों?
- जब हादसा या कोई अन्य वार्ता होती है तो निजी प्रशासन से जिला प्रशासन तक के अधिकारी मौके पर पहुंच जाते है ऐसा क्यों?
- पुलिस के ध्येय वाक्य 'आमजन में विश्वास-अपराधियों में भय' जनता में साकार होता है, लेकिन निजी व थाना पुलिस जवानों का भय क्यों नहीं? क्या पुलिस के जवानों ने अपराधियों का भय मुक्त कर दिया?
- अतिक्रमण के चलते होने वाले दुष्परिणामों को लेकर पूर्व में भी खबर प्रकाशित की गई लेकिन अभी तक कोई निजी प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन से कोई राहत नहीं मिल पाई।
- प्रशासन के इस ढीले रवैया से श्रोता भी न्याय की सोच में पड़े हुए हैं। इसी वजह से अपराधियों में भी प्रशासन व कानून के प्रति धीरे-धीरे भय मुक्त होता चला जा रहा है।