लाडो को घोड़ी पर बैठा कर निकाली बिंदोरी, बेटा बेटी एक समान होने का दिया संदेश
खैरथल (हीरालाल भूरानी) बेटियों को भी बेटों के समान समझा जाने लगा हैं. जो देश व समाज के लिए अभिनव पहल हैं. ऐसा ही बेटा बेटी समानता का सन्देश वाल्मीकि परिवार ने देने का प्रयास किया है. जिसमें बेटी रेखा को घोड़ी पर बैठाकर गाजे बाजे के साथ बिंदोरी निकाली गई।
किशनगढ़बास नगरपालिका के क्षेत्र में किले मोहल्ले स्थित एक वाल्मीकि परिवार ने रुढ़िवादी परंपरा को तोड़ते हुए बेटी की शादी की रस्मों को वैसे ही निभाया, जैसे बेटों की निभाई जाती है. दुल्हन के पिता ने घोड़ी पर बिठाकर बिंदोरी निकाली और बेटे-बेटी एक समान हैं, का संदेश दिया।
किशनगढ़बास नगरपालिका के क्षेत्र में किले मोहल्ले स्थित रहने वाले देशराज वाल्मीकि और भाई रविन्द्र वाल्मीकि के परिवार ने समाज की रूढ़िवादी परंपरा को त्यागते हुए बेटी रेखा की गुरुवार को होने वाली शादी से पहले उसके सारे रस्म-रिवाज लड़कों की भांति किए। बेटी रेखा के पिता देशराज वाल्मीकि और भाई रविन्द्र वाल्मीकि ने बताया कि वर्तमान में बेटियों के प्रति समाज में जागृति आई हैं।
अब बेटियों को भी बेटों के समान समझा जाने लगा हैं। जो देश व समाज के लिए अभिनव पहल हैं. ऐसा ही बेटा बेटी समानता का सन्देश वाल्मीकि परिवार ने देने का प्रयास किया है। जिसमें बेटी रेखा को घोड़ी पर बैठाकर गाजे बाजे के साथ बिंदोरी निकाली। परिवार जनों ने बताया कि बिटिया की बिंदोरी निकालने का एक मात्र उद्देश्य समाज में बेटा-बेटी के भेद को मिटाकर समानता का सन्देश देना हैं। बिंदोरी में रेखा की सहेलियों, भाई बहनों, परिवार जनों सहित रिश्तेदारों ने नाच गा कर खुशियां मनाई।
रेखा की माता कल्लो देवी ने बताया कि समाज के बदलते परिवेश और शिक्षा के विकास के कारण अब रुढ़िवादी परंपराओं को जनता धीरे-धीरे मिटाने लगी है। जहां पहले बेटियों को समाज में बोझ समझा जाता था, वहीं अब शिक्षा और जागरुकता की वजह से जनता की सोच में बदलाव देखने को मिल रहा है. आधुनिक दौर में शिक्षा के प्रसार प्रचार से समाज में आई जागरुकता से बेटियों को भी बेटों के बराबर सम्मान मिलने लगा है।
रेखा के भाई रविन्द्र ने बताया कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो बेटियां बेटों से अधिक नाम कमा रही है वही हर एक क्षेत्र में कदम से कदम मिलाकर देश की उन्नति में योगदान दे रही है। बेटा सफल होने पर एक ही परिवार का नाम रोशन करता है जबकि बेटियां सफल होने पर दो परिवारों का नाम रोशन करती है। इसलिए बेटा और बेटी में भेदभाव न करने और समानता का दर्जा देने का संदेश दिया गया।
बिंदोरी देखने को उमड़ा सर्व समाज - बुधवार की देर रात को वाल्मीकि समाज की बेटी रेखा की बिंदोरी जब घोड़ी पर बैठाकर शान से निकाली गई तो क्षेत्र में चर्चा होते ही उसे देखने के लिए सर्व समाज का हुजूम उमड़ पड़ा।