मौसम आजकल कुछ इस कदर खुमारी में है, मेरा भी गांव गुरला शिमला होने की तैयारी में
गुरला,भीलवाड़ा (बद्रीलाल माली)
गुरला:-नेशनल हाईवे 758 स्थित गुरला पर बसे एक तरफ़ रणजीत सागर तालाब तो एक तरफ अरावली पर्वतमाला श्रंखलाओं के कारण प्रकृति की नमी भी कम नही है। पखवारे भर से पसरी ठंड ने जनजीवन तबाह कर दिया है। क्या घर, क्या बाहर, हर जगह ¨जदगी सिकुड़ी हुई है। कामकाज की रफ्तार धीमी हो गई है। चहलकदमी गायब है। लोग साल, स्वेटर और जैकेट से बदन ढंक रहे है। फिर भी गलन उन्हें कंपा रही है। हाथ की अंगुलियां काम करने के दौरान ठंडी पड़ जा रही हैं। बचने का कितना उपाय लोग करेंगे जब कोने-कोने में ठंड है। कोई करे तो क्या करे। जब यह पूरा खेल प्रकृति का है। बड़े बुजुर्ग लड़खड़ाती जुबान से बोल रहे हैं- हे भगवान, बड़ी ठंड है कब दिखाओगे रहम । इन्हीं सब बातों के बीच बीत जा रहा है पूरा दिन। सब कामकाज छोड़ हर जुगत तो ठंड से बचने की हो रही है। फिर भी ¨जदगी है तो काम का जंजाल भी है। मजबूरी में लोगों को दफ्तर, व्यापार के लिए निकलना ही पड़ रहा है। मगर हाय रे ठंडी तेरी हद और जद में कोई रह नही पा रहा है। जहां बिजली है वहां इलेक्ट्रिक हीटर और ब्लोअर सहारा बना है। जहां नहीं है वहां अलाव जल रहे हैं । गांव घरों में लकड़ी और कोयले की अंगीठी जल रही है। ठंड से बचने के लिए लोग अलाव तापते नजर आये घर-घर अलाव के इंतजाम भोजन और स्नान से पहले हो रहे हैं। हर अलाव पर दो चार की संख्या में लोग दिन के दिन बैठे हुए हैं। यह मंजर चौतरफा देखने को मिल रहा है। सुबह से दोपहर तक लोग आसमान में उस पूरब दिशा को निहार रहे है जहां से सूर्यदेव उदित होते ।