सांचौर की राजनीति के भीष्म पितामह ने ली अंतिम सांस
सिरोही (रमेश सुथार)
सांचौर की राजनीति के भीष्म पितामह के मौत से हजारों शुभ चिंतकों ने गमगीन माहौल में दी अंतिम विदाई।राव महासमिति सिरोही,जालोर ,पाली के पूर्व महामंत्री राव गोपाल सिंह पोसालिया ने बताया कि श्री विरदसिंह राव, पुर, सांचौर जिले के राजनीतिक पटल पर उदित वह सितारा थे ।जिसकी आभा एवम चमक ने सांचौर की राजनीति को नवजीवन दिया। पश्चिमी राजस्थान में भाजपा की प्राण वायु बनकर उभरे राव की धमक सत्ता के गलियारों के गीत बने, फिर चाहे विधानसभा हो या संसद हो या फिर स्थानीय राजनीति, राव के बुलंद हौसलों का लोहा सबने माना। राव का जन्म सांचौर के पास स्थित गांव पुर में 1931 में हुआ। बचपन से ही मेधावी, विद्वान, भक्त व कविहृदय राव की योग्यता ने लोगों के जीवन व विचारों को अंदर तक प्रेरित किया। राव का जन्म भारत की गुलामी के काल में हुआ, लेकिन उस समय भी आपने अपने ननिहाल भीनमाल में रहते हुए मैट्रिक पास की। आपने अपने पैतृक गांव पुर में विशाल, दिव्य, भव्य मंदिर का निर्माण करवाया जिसमे 24, अवतार, 12 ज्योतिर्लिंग व नव दुर्गा के मंदिर शामिल है। यह मंदिर दूर से देखने पर दुर्ग की तरह दिखता है। बचपन से ही भक्तिभाव से पूर्ण राव ने गौशाला का संचालन ही नही किया बल्कि कई गौशालाओं हेतु धन जुटाया और सहयोग किया। इसके साथ ही आपकी भक्ति कविताओं, दोहों, छंद सवेयों के रूप में भाव बनकर कलम के माध्यम से निकली एवम पुस्तकों के रूप में छपी, विरद विनय सतसई उन्ही में से एक प्रमुख पुस्तक है।राव ने अपने राजनीतिक जीवन में जनसंघ का दामन तब थामा जब पश्चिमी राजस्थान में कांग्रेस का विकल्प बनने की संभावना किसी भी पार्टी या व्यक्ति में कही नजर नहीं आती थी। अपने अपने बिश्नोई बाहुल्य पैतृक गांव पुर में जहां आपका एक घर होने के बावजूद आप वहां से कई बार जीतकर 18 साल सरपंच रहे। इसके साथ ही जिला परिषद सदस्य, भाजपा के जिला उपाध्यक्ष भी रहे। विभिन्न विधायकों, सांसदों, मंत्रियों व तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत से नजदीकियों ने राजनीतिक मंच पर आपकी भूमिका व स्वीकार्यता को न केवल बढ़ाया बल्कि आप पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं के प्रेरणास्रोत बनकर उभरे ।जो पुष्प पल्लवित होता है उसका टूटना नियति ने आदिकाल से तय कर रखा है। श्री राव का यू संसार से विदा होना निश्चय ही मानवजाति के लिए क्षति है। उनका विराट एवम जीवट व्यक्तित्व, निस्पृह जीवन, लोक कल्याण के भाव एवम बुलंद व दिलेर हौसलों की कहानियां हमेशा लोकजीवन में सुनाई जाती रहेगी ।राव का अंतिम संस्कार भीनमाल में हुआ।