हवन यज्ञ व भंडारे के साथ भागवत कथा का हुआ समापन
कोटपुतली (बिल्लूरामसैनी)
आदर्श विद्या मंदिर (शिशु वाटिका)में चल रही भागवत कथा शुक्रवार को संपन्न हुई। कथा के समापन पर हवन यज्ञ और भंडारे का आयोजन किया गया। भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहले हवन यज्ञ में आहुति डाली और फिर प्रसाद ग्रहण कर पुण्य कमाया। भागवत कथा का आयोजन तरुण समाज पावटा की ओर से करवाया गया था। कथा व्यास आशीष चतुर्वेदी ने 7 दिन तक चली कथा में भक्तों को श्रीमद भागवत कथा की महिमा बताई। उन्होंने लोगों से भक्ति मार्ग से जुड़ने और सत्कर्म करने को कहा।हवन-यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है। दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्रीमद भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। कथावाचक आशीष चतुर्वेदी ने भंडारे के प्रसाद का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान को लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है। कथा समापन के दिन शुक्रवार को विधिविधान से पूजा करवाई। दोपहर तक हवन और रात्रि तक भंडारा कराया गया। हवन में पुरुषोत्तम मिश्रा डॉक्टर किशन लाल शर्मा,कन्हैयालाल मीणा एवं राम सिंह चौधरी तथा मुख्य यजमान श्रीकांत मिश्रा ने सपत्नी अपने परिवार के साथ आहुतियॉ दी। शहर से आए श्रद्धालुओं ने भी हवन में आहुति डाली। पूजन के बाद दोपहर से भंडारा लगाकर प्रसाद बांटा गया।इस दौरान कार्यक्रम में मनीष सेन महेश पारीक,अशोक पारीक, राहुल चौधरी एवं सुरेंद्र मीणा, रघु मिश्रा, विपिन बिहारी पारीक सहित सभी व्यवस्थार्थ उपस्थित रहकर कार्यक्रम को उत्साह पूर्वक संपन्न करवाया।