मकर संक्रांति पर पतंग उड़ने का भगवान राम से क्या है, संबंध
लक्ष्मणगढ़ (अलवर) कमलेश जैन
मकर संक्रांति के दिन राजस्थान राज्य के कई शहरों कस्बो में पतंग उड़ाने की परंपरा है। मकर संक्रांति के दिन लोग अपनी छतों पर पतंग लेकर सुबह चढ़ जाते हैंऔर सूरज ढलने तक पतंगबाजी करते हैं। बड़े उत्साह के साथ सभी लोग इस त्यौहार को मनाते हैं।
मकर संक्रांति और पतंग का काफी पुराना रिश्ता है। यह त्योहार हिंदू धर्म में बहुत खास है। इस दिन का सभी लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस त्यौहार में खास बात यह है कि हर धर्म के लोग एक साथ पतंग उड़ाकर पतंगबाजी करते हैं। साथ ही आपस में ही पतंग काटकर एक-दूसरे को चिढ़ाते हैं।
मकर संक्रांति के दिन पूरा आसमान रंग-बिरंगा दिखाई देता है। चारों तरफ पतंग नजर आती है। मकर संक्रांति को पतंग का त्यौहार भी कहा जाता है। वहीं मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाना शुभ भी माना जाता है। इसलिए हर घर में बच्चे और बड़े पतंग उड़ाते हैं।
मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने के पीछे की परंपरा...
मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। धार्मिक महत्व के दृष्टिकोण से इसका संबंध भगवान राम से बताया गया है। वहीं वैज्ञानिक कारण से पतंग उड़ाने का संबंध स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है।
धार्मिक मान्यता है कि भगवान राम, लक्ष्मण और हनुमान एक साथ पतंग उड़ा रहे थे। और उनकी पतंग उड़ते-उड़ते इंद्रलोक चली गयी। माना जाता है तभी से पतंग उड़ाने की परंपरा शुरू हुयी और यह परंपरा आज तक चली आ रही है। यह भी माना जाता है कि इस परंपरा की शुरुआत भगवान राम ने की थी।
वैज्ञानिकों का मानना है कि पतंग उड़ाने से कई व्यायाम एक साथ हो जाते हैं। मकर संक्रांति बहुत सर्दी के मौसम में आता है। इसलिए इस दिन सुबह धूप में पतंग उड़ाने से सेहत को लाभ मिलता है।
योग शिक्षक पंडित लोकेश कुमार ने बताया कि मकर संक्रांति का त्यौहार इस साल 15 जनवरी 2024 को मनाया जा रहा है। इस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है। इसे मकर संक्रांति कहते हैं। यह त्योहार भिन्न-भिन्न नाम और परंपरा के रूप मनाया जाता है।