सरकारी कॉलेज के विद्यार्थियों का जीवन अंधकार में, बिना प्रोफेसरो के कैसे हो पाएगा विद्यार्थियों का सपना पूरा
कठूमर (अशोक भारद्वाज):- राजकीय महाविद्यालय कठूमर जो सत्र 2020-21 से प्रारंभ किया गया था जिसमें सुविधाओं के नाम पर अपना स्वयं का न भवन, न पानी और न ही सभी विषय के प्रोफेसर है "नई शिक्षा नीति की अनदेखी" प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय और सभी राजकीय व निजी महाविद्यालयों में समान पाठ्यक्रम से भारत सरकार की नई शिक्षा नीति- 2020 को लागू कर दिया है। सेमेस्टर स्कीम के तहत न्यूनतम 90 कालांश अनिवार्य होते हैं। लेकिन राजकीय महाविद्यालय कठूमर मे बिना स्टाफ के महाविद्यालयों में केवल औपचारिकताएं ही पूरी हो रही हैं। कालेज में अध्यनरत सपना, आरती शर्मा, मनीषा,विशाल मीणा आदि ने बताया कि कठूमर उपखंड मुख्यालय पर गत समय पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में कॉलेज तो खोल दिए गए लेकिन धरातल पर अभी तक विद्यार्थियों को सुविधाओं के अभाव का टोटा है। प्रोफेसर के अभाव में कई विषयों के तो प्रथम पाठ भी विद्यार्थी सही ढंग से पढ़ नहीं पाए हैं वही 5 फरवरी 2024 से प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाएं शुरू होने वाली है लेकिन हिंदी साहित्य, अर्थशास्त्र और संस्कृत साहित्य कि अभी तक एक भी क्लास नहीं हुई है।इसे लेकर विद्यार्थी तनाव में हैं। कांग्रेस सरकार के द्वारा कॉलेज तो खोल दिए गए लेकिन उनमें से समुचित स्टाफ नहीं है वहीं अस्थाई रूप से विद्या संबल पर लगाए गए हैं उनका समय काल 28 फरवरी तक है लेकिन अभी तक विद्यार्थियों का संपूर्ण कोर्स नहीं हुआ है। कॉलेज की विद्यार्थियों ने मांग की सरकार को विद्या संबल पर लगाए प्रोफेसर का समय बढ़ाना चाहिए और समय से शेष रहे विषय के अध्यापन पूर्ण कराने चाहिएं। द्वितीय और तृतीय वर्ष मे भी हिंदी साहित्य, अर्थशास्त्र और संस्कृत साहित्य की एक भी क्लास नहीं हुई है। विद्यार्थियों ने इस संबंध में कई बार उच्च अधिकारियों को ज्ञापन के माध्यम से अवगत करवाया गया लेकिन इसके प्रति अभी तक कोई समाधान नहीं निकाला गया।