अयोध्या के राम मंदिर में माता जानकी को पहनाएंगे 13 किलो वजनी अष्टधातु की बंगड़ी
उदयपुरवाटी (सुमेरसिंह राव) कोरोना महामारी में जब विश्व जीवन मृत्यु की आशंकाओं से घिरा हुआ था उस समय सोनी समाज के एक व्यक्ति ने समय का सदुपयोग करते हुए भगवान श्री राम को समर्पित एक बंगड़ी का निर्माण शुरू किया।नोखा के ओमजी भाई जवेरी द्वारा बनाई गई 13 किलो वजनी इस बंगड़ी में 129 ग्राम सोना,750 ग्राम चांदी,35 सौ ग्राम तांबा,58सौ ग्राम पीतल,150ग्राम कांस्य,16सौ ग्राम सीसा,150 ग्राम रांगा मिश्रित अष्ट धातु का इस्तेमाल किया गया है।इस पर एक तरफ रामायण की चौपाइयां व दूसरी तरफ गीता सार अंकित किया गया है।मनकों पर श्री राम जीवन लीला के प्रसंग व मां दुर्गा के नो रूपों का चित्रांकन किया गया है।
बंगड़ी में 32 की संख्या का महत्व
जवेरी ने बताया कि बंगड़ी में कुल 32 मनके हैं जिनका विशेष महत्व है। विश्व शांति मंत्र 32 अक्षर का है।राम व रावण का युद्ध भी 32 दिनों तक चला था।तथा मनुष्य के दांत भी 32 होते हैं।अलंकार,आसन व उपरत्न भी 32 होते हैं।बंगड़ी के अंदर का व्यास 17 इंच इसलिए रखा कि मानव शरीर में तत्व,धान्य,संहिता ग्रन्थ,गुरु व गीतों के प्रकार तथा वाद्य यंत्रों की संख्या सत्रह होती है वही बाहरी व्यास 24 इंच का है।क्योंकि एक दिन रात में 24 घण्टे,एक वर्ष में एकादशी, अवतार, गायत्री मंत्र के अक्षरों की संख्या,तीर्थंकर 24 हैं। रामजन्म भूमि ट्रस्ट की मीटिंग में इस बंगड़ी को म्यूजियम में रखे जाने का निर्णय लिया गया है।
रामनवमी पर ट्रस्ट को सौंपेंगे बंगड़ी
रामनवमी के पावन अवसर पर इस बंगड़ी को सीता मैया को पहनाकर इसे अयोध्या के म्यूजियम में सुरक्षित रखा जाएगा जो युगों युगों तक शोभा बढ़ाएगी।माता सीता के लिए बनाई गई इस बंगड़ी का नाम सीता मटरिया रखा गया है।इसके अलावा पुराने सिक्कों का संग्रह व देश विदेश की मुद्राओं का संग्रह रखने वाले जवेरी भाई ने एक बड़ी हंसली व टेवटा भी बनाया है जिसको लिम्का बुक में दर्ज करवाए जाने के लिए भेजा गया है।
राष्ट्रपति सहित अनेक संस्थाओं ने किया सम्मानित
जवेरी भाई अनेक कलाओं में पारंगत हैं।भारतीय स्काउट दल के सदस्य के रूप में विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व करने पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने सम्मानित किया था।स्वर्णाभूषणों पर की गई कलाकारी व मीनाकारी के लिए1980 में राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने पुरस्कृत किया था।इसके अलावा नेपाल के महाराजा वीरेंद्र बीर विक्रम शाह तथा लेखन कार्य के लिए दिल्ली मंच पर साहित्य कला सम्मान से विभूषित किया गया।इसके अलावा अनेक संस्थाओं ने इनका सम्मान किया है।