पिता का साया उठा,मां ने साथिन बनकर दिया साथ, बेटी ने दो सरकारी परीक्षाओं में पाई सफलता
उदयपुरवाटी / बुगाला (सुमेर सिंह राव)
बुलंद हौसले और अडीग लक्ष्य से हर सफलता प्राप्त की जा सकती है,फिर चाहे परिस्थितियां विपरीत ही क्यों ना हो। ऐसे ही विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष कर जाखल गांव की बेटी मोनिका पुत्री दशरथ सिंह शेखावत ने सफलता की कहानी लिखी है। सिर पर पिता का साया नहीं होने के बावजूद भी मोनिका ने एक ही वर्ष में दो सरकारी भर्ती परीक्षाओं हाईकोर्ट एलडीसी व कम्प्यूटर अनुदेशक के पद पर चयनित हुई है। मोनिका फिलहाल सीकर के जिला न्यायालय में एलडीसी के पद पर कार्यरत है। मोनिका ने बताया कि उनके पिता फरीदाबाद में प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करते थे। वर्ष 2003 में उनकी मौत हो गई थी। उस समय मोनिका केवल डेढ़ वर्ष की थी।
मां ने निभाया पिता का फर्ज
मोनिका ने बताया कि वह अपने माता पिता की इकलौती संतान है। पिता की मौत के बाद परिवार पर आर्थिक संकट मंडराने लगा था। जिसके बाद मोनिका की माता सुमन कंवर ने परिवार को संभाला। सुमन कंवर ने गांव में साथिन के पद पर नौकरी करती है। सुमन कंवर ने उसी आय से बेटी का पालन पोषण कर उसको शिक्षा दिलाई।
जिला कलेक्टर ने किया सम्मानित
मोनिका की संघर्षमयी सफलता को देखकर जिला कलेक्टर ने भी उनको सम्मानित किया है।हाल ही में 24 जनवरी को बालिका दिवस पर जिला कलेक्टर चिन्मय गोपाल ने मोनिका को सम्मानित किया। इन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपनी माता सुमन कंवर को ही दिया है।