वसंत पंचमी 14 फरवरी को
लक्ष्मणगढ़ (अलवर) कमलेश जैन
हिंदू धर्म में वसंत पंचमी मनाने को लेकर कई मान्यताएं हैं। वसंत पंचमी 14 फरवरी अर्थात माघ शुक्ल पंचमी को मनाई जाएगी। योग शिक्षक पंडित लोकेश कुमार ने बताया कि माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को देवी सरस्वती का अवतरण हुआ था। इसलिए इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन को सरस्वती और लक्ष्मी देवी का जन्म दिवस भी माना जाता है। वसंत पंचमी के दिन से ही वसंत ऋतु का आगमन होता है। जो सभी ऋतुओं का राजा होता है। हिंदू धर्म मे वसंत ऋतु और वसंत पंचमी का महत्व भी अलग है। इस दिन को लक्ष्मी जी का जन्मदिन भी माना जाता है । इसलिए इस तिथि को श्री पंचमी भी कहा जाता है।
ब्राह्मण शास्त्रों के अनुसार, वाग्देवी सरस्वती ब्रह्मस्वरूप, कामधेनु और सभी देवताओं की प्रतिनिधि हैं। वह विद्या, बुद्धि और ज्ञान की देवी हैं। अमित तेजस्विनी और अनंत गुण शालिनी देवी सरस्वती की पूजा और आराधना के लिए माघ मास की पंचमी तिथि निर्धारित की गई है। इस दिन को देवी के रहस्योद्घाटन का दिन माना जाता है। इस दिन मां सरस्वती का आह्वान कर कलश की स्थापना की जाती है और उसकी पूजा की जाती है।वर्तमान में सार्वजनिक पूजा स्थलों पर देवी सरस्वती की मूर्ति स्थापित कर पूजा करने की प्रथा शुरू हुई है। चूंकि यह ज्ञान का त्योहार है। इसलिए छात्र शिक्षण संस्थान को सजाते हैं। एवं विद्यालय में बसंत पंचमी को मनाया जाता है। विद्यारंभ संस्कार के लिए यह सबसे अच्छा दिन है।
वसंत पंचमी का दिन सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए बहुत ही शुभ माना गया है। पुराणों में भी वसंत पंचमी को मुख्य रूप से नई शिक्षा और गृह प्रवेश के लिए बहुत ही शुभ माना गया है।