अधिवक्ताओं ने न्यायालय के बाहर किया विरोध प्रदर्शन
29 फरवरी तक न्यायिक कार्यवाही में भाग नहीं लेने का लिया निर्णय
कोटपूतली राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा सीकर के लक्ष्मणगढ़ स्थित अभिभाषक संघ के युवा अधिवक्ता व पुस्तकालय सचिव एड. विकास वैदी के आकस्मिक निधन पर विगत 02 फरवरी को शोक सभा किये जाने के कारण अधिवक्ताओं के न्यायिक कार्य से अनुपस्थित रहने पर संघ के अध्यक्ष प्यारे लाल मीणा को स्व प्रश्रज्ञान लेते हुए विगत 08 फरवरी को तलब कर नोटिस जारी करने के विरोध में सोमवार को अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य स्थगित रखते हुए सभी न्यायालयों में गणवेश पर काली पट्टी बांधकर जमकर नारेबाजी करते हुए अपना विरोध दर्ज कराया था। वकीलों का कहना है कि जिला सैशन खण्ड सीकर व झुन्झुनु के लगभग 500 अधिवक्ताओं ने राजस्थान हाईकोर्ट में उपस्थित होकर आपत्ति प्रस्तुत करते हुए उक्त प्रकरण में संघ के अध्यक्ष प्यारे लाल मीणा के साथ अपना पक्ष प्रस्तुत किया था। लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर बैंच ने उक्त प्रकरण को समाप्त नहीं किया। जिसके विरूद्ध विगत 16 फरवरी को अधिवक्ताओं ने स्वैच्छिक रूप से न्यायिक कार्य से अलग रहकर संघर्ष समिति का गठन किया था। संघर्ष समिति के सदस्यों ने यह निर्णय लिया कि जब तक हाईकोर्ट द्वारा जारी नोटिस निरस्त नहीं होगा। तब तक राजस्थान में न्यायिक कार्य स्थगित रहेगें। आन्दोलन को गति देने के लिए पूर्व अध्यक्ष बार काउंसिल ऑफ राजस्थान एड. आर.के. दास गुप्ता निवासी बीकानेर के संयोजन में एक राज्य स्तरीय संघर्ष समिति का गठन किया गया है। जिसमें अभिभाषक संघ कोटपूतली के अध्यक्ष एड. दयाराम गुर्जर को भी सदस्य बनाया गया है। मंगलवार को अध्यक्ष एड. दयाराम गुर्जर के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने न्यायालय के बाहर अपना विरोध प्रदर्शन किया एवं न्यायिक कार्यो में भाग नहीं लिया। अधिवक्ताओं ने राज्य स्तरीय संघर्ष समिति के आह्वान पर आगामी 29 फरवरी तक न्यायालयों में न्यायिक कार्यवाही में भाग नहीं लेने का निर्णय लिया है। इस दौरान उपाध्यक्ष सुशील यादव, कोषाध्यक्ष ज्योति शर्मा, सचिव हेमंत शर्मा, एड. सागरमल शर्मा, एड. जितेंद्र रावत, एड. राजेन्द्र रहीसा, एड. प्रेमप्रकाश पाथरेड़ी, एड. राजेन्द्र चौधरी, एड. बजरंग लाल शर्मा, एड. पीके शर्मा, एड. रामकिशन शर्मा, कृष्ण कुमार, कन्हैयालाल, अमरसिंह चौधरी, मुरारीलाल शर्मा, सत्यवीर पायला, महेश सराधना, चेतराम रावत समेत अन्य अधिवक्तागण मौजूद रहे।
- बिल्लूराम सैनी