सूचना प्राप्त करना हुआ आसान - सैनी
उदयपुरवाटी (नीमकाथाना / सुमेर सिंह राव) सूचना का अधिकार विषय पर बोलते हुए पूर्व तहसीलदार मंगल चंद सैनी ने बताया कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 में लागू हुआ इसके अंतर्गत किसी भी राजकीय उपक्रम से सूचना प्राप्त करने का अधिकार भारतीय नागरिक को दिया गया है। राजकीय उपक्रम में वे संस्थान भी शामिल होंगे जिनमें राजकीय राशि लगी हुई हो चाहे वह एक परसेंट ही क्यों ना हो।
सूचना प्राप्त करने हेतु प्रक्रिया- सूचना प्राप्त करने हेतु साधारण कागज पर आवेदन दिया जा सकता है उसमें आवेदक का विवरण पब्लिक इनफॉरमेशन ऑफीसर जो उस विभाग में सूचना देने के लिए अधिकृत है का पता, आवेदन पत्र के साथ आवेदन शुल्क के रूप में पोस्टल आर्डर ₹10 या नकद, डिमांड ड्राफ्ट या चैक लगाना होगा और उसका विवरण दर्ज करना होगा।
प्रत्येक विभाग में एक लोक सूचना अधिकारी(PIO) नियुक्त किया हुआ है उसके नाम आवेदन पत्र ऑनलाइन या ऑफलाइन भिजवाना होता है।
आवेदन पत्र प्राप्ति के 30 दिवस में लोक सूचना अधिकारी सूचना देने के लिए बाध्य है।सूचना देने हेतु यदि शुल्क मांगा जाता है और शुल्क भिजवाने में जितने दिन का विलंब होता है उतने ही दिन विलंब से सूचना मिलेगी। यदि आवेदक बीपीएल की श्रेणी में आता है तो उससे कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
प्रथम अपील- 30 दिन के बाद न तो सूचना मिलती है न इंकार किया जाता है या अधूरी सूचना दी जाती है तो उसकी प्रथम अपील उसके उच्च अधिकारी के यहां की जाएगी।प्रथम अपील अधिकारियों की नियुक्ति प्रत्येक विभाग में की हुई है उसी के नाम से उसके पते पर अपील की जावेगी जो ऑनलाइन भी की जा सकती है।
प्रथम अपील में आवेदन पत्र का विवरण व उसकी प्रति लगानी होगी, अपील का कारण अंकित करना होगा। प्रथम अपील अधिकारी के पास अपील प्राप्त होने के बाद लोक सूचना अधिकारी को अपील की प्रति भेज कर उसे कारण पूछा जाएगा। प्रथम अपीलीय अधिकारी अपील का निर्णय 45 दिन में करेगा और निर्णय की प्रति अपीलार्थी को भेजी जाएगी।यदि प्रथम अपील अधिकारी के निर्णय से अपीलार्थी असंतुष्ट है तो द्वितीय अपील का भी प्रावधान रखा गया है।
द्वितीय अपील- द्वितीय अपील सूचना आयोग में की जाएगी। द्वितीय अपील भी साधारण कागज पर पूर्ण विवरण के साथ की जा सकती है जिसके साथ आवेदन पत्र व प्रथम अपील के निर्णय की प्रति लगानी होगी, प्रथम अपील के निर्णय से असंतुष्टि का पूर्ण विवरण देना होगा।द्वितीय अपील में आयोग दोनों पक्षकारों को सुनेगा यदि लोक सूचना अधिकारी ने दुर्भावना पूर्ण या जानबूझकर गलत, अपूर्ण या भ्रामक सूचना दी है या आवेदन अस्वीकृत किया तो आवेदन पत्र प्राप्त होने से सूचना देने तक प्रत्येक दिन 250 रुपए की शास्ति लोक सूचना अधिकारी पर लगाई जा सकती है, शास्ति ₹25000 से अधिक नहीं होगी।यदि लोक सूचना अधिकारी किसी युक्ति युक्त कारण के बिना नियत समय के भीतर सूचना नहीं दे या द्वेषता पूर्वक सूचना के अनुरोध को अस्वीकृत किया तो उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंषा लोक सूचना अधिकारी के विभाग को सूचना आयुक्त द्वारा की जा सकेगी। प्रथम अपील के निर्णय के 90 दिनों के भीतर द्वितीय अपील की जा सकेगी।
यदि सूचना केंद्र सरकार के कार्यालय से प्राप्त करनी है तो राज्य सरकार की तरह केंद्र सरकार के कार्यालय में भी केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी, प्रथम अपील अधिकारी तथा केंद्रीय सूचना आयुक्त के यहां कार्यवाही की जाएगी। सूचना आयोग के निर्णय से असंतुष्ट होने पर उच्च न्यायालय में रिट दायर की जा सकती है।