माता ही प्रथम गुरु होती है: शिशु वाटिका में मातृ गोष्ठी का हुआ आयोजन
उदयपुरवाटी (सुमेर सिंह राव)
उदयपुरवाटी कस्बे में पुरानी सब्जी मंडी के पास स्थित शिशु वाटिका विभाग उदयपुरवाटी में सोमवार को प्रथम कक्षा के भैया बहिनों की मातृ गोष्ठी की गई। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर की गई।अभिभावक श्रीमती माया शर्मा ने कार्य क्रम की अध्यक्षता की। सभी उपस्थित माताओं ने अपने-अपने भैया बहिनों के विषय में विस्तार से चर्चा की। शिशु वाटिका विभाग के प्रभारी श्याम सुन्दर शर्मा ने भैया बहिनों के सर्वांगीण विकास के लिए एक एक करके सभी माताओं से सुझाव मांगे। सभी उपस्थित मातृशक्ति द्वारा अपने -अपने भैया बहिनों के विषय में विस्तार से चर्चा की। किसी ने उपलब्धि तो किसी ने सुधार हेतु अपने विचार रखे, प्रभारी शर्मा ने कहा कि भैया बहिनों के सर्वांगीण विकास में माताओं की अहम भूमिका रहती है।
माता ही प्रथम गुरु होती है, अतः सामान्य गलती पर डांटे नहीं बल्कि स्नेह से समझा कर सुधार करवाने का प्रयास करना चाहिए। माता व आचार्य आचार्या दीदीयों दोनों के सहयोग से भैया बहिनों का विकास संभव है।समय पर तैयार कर पूर्ण गणवेश में शिशु वाटिका भेजना ,समय पर भोजन खिलाना, गृह कार्य समय पर पूर्ण करवाना, सहित छोटी छोटी बातों का ध्यान रखने में माता की अहम् भूमिका रहती है। इस अवसर पर माध्यमिक बालिकाआदर्श विद्यामंदिर के प्रधानाचार्य महिपाल सिंह ने कहा कि भैया बहिनों के अध्ययन कक्ष में देवी देवताओं व महापुरुषों के चित्र लगाने चाहिए। ताकि बच्चों में जिज्ञासा बढ़े। इन्होंने संस्कार मय शिक्षा पर अपने विचार रखे। इस अवसर पर शिशु वाटिका विभाग की आचार्या दीदीयां,व अन्य अभिभावक भी उपस्थित थे। प्रथम कक्षा की मातृ गोष्ठी में दो दर्जन से अधिक माताओं ने अपने-अपने भैया बहिनों के सम्बन्ध में विचार रखे। मातृ गोष्ठी में भैया बहिनों के सामने ही एक एक की प्रगति की जानकारी ली गई। माताओं से आग्रह किया गया कि निःसंकोच आप अपने विचार रखें, भैया बहिनों के सामने ही आप खुलकर बतायें, छुपाए नहीं। शांति मंत्र के पश्चात मातृ गोष्ठी का समापन किया गया।