कृषि भूमि की अदला बदली निःशुल्क - सैनी
किसानों द्वारा जानकारी चाहने पर पूर्व तहसीलदार मंगलचंद सैनी ने भूमि के विनिमय के बारे में बताया कि एक किसान की भूमि एक ही ग्राम में अनेक जगह या अन्य ग्राम में स्थित है और दूसरे किसान की भूमि भी उसके पड़ोस में स्थित हो तो दोनों को काश्त करने में भाग दौड़ व असुविधा का सामना करना पड़ता है।इस कठिनाई को महसूस कर राज्य सरकार ने राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 में धारा 48 से 52 तक भूमि के विनिमय संबंधी नियम का प्रावधान किया है। विनिमय से दोनों किसानों की भूमि एक ही स्थान पर हो जाएगी और खेती करने में सुविधा भी बढ़ जाएगी। जानकारी के अभाव में दोनों किसान एक दूसरे को विक्रय पत्र करवाते हैं जिसके कारण अत्यधिक खर्चा होता है। वर्तमान में भूमि के विनिमय का अधिकार भूमिधारी की हैसियत से तहसीलदार को दिया गया है।
विनिमय पत्र की महत्वपूर्ण बातें-
- 1.विनिमय के लिए आवश्यक है कि दोनों किसान एक ही वर्ग के हों अर्थात एक खातेदार दूसरे खातेदार से व एक गैर खातेदार दूसरे गैर खातेदार के साथ ही विनिमय कर सकता है।
- 2.अनुसूचित जाति का खातेदार अनुसूचित जाति के साथ व अनुसूचित जनजाति का खातेदार अनुसूचित जनजाति के साथ ही विनिमय कर सकता है सवर्ण खातेदार के साथ विनिमय नहीं कर सकता।
- 3.अदला बदली की जाने वाली भूमि की किस्म, कीमत व क्षेत्रफल लगभग समान होना चाहिए यदि क्षेत्रफल अधिक है तो अधिक भूमि के स्टांप शुल्क आदि जमा कराने होंगे।
- 4.विनिमय पत्र में दोनों पक्षकार स्पष्ट रूप से अदला बदली की जाने वाली भूमि की विशिष्टियां अंकित करेंगे जैसे खसरा नंबर, क्षेत्रफल ,लगान व विनिमय के कारण आदि। जमाबंदी व नक्शा शामिल करना होगा।
- 5.विनिमय पत्र पर दोनों पक्षकारों सहित दो गवाहों के हस्ताक्षर व उनके आधार कार्ड या अन्य आईडी व फोटो लगानी होगी।
- 6.विनिमय समान क्षेत्रफल की भूमि तक निःशुल्क होगा।
- 7.विनिमय पत्र को तहसीलदार द्वारा स्वीकृत किया जाएगा।
- 8.विनिमय पत्र को उप पंजीयक के यहां रजिस्टर्ड कराया जाएगा कोई स्टैंप ड्यूटी देय नहीं है। जानकारी के लिए किसानों द्वारा आभार प्रकट किया गया।