अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष: आधी आबादी को बराबरी का हक देने का सच - सैनी
प्रतिवर्ष 8 मार्च को संपूर्ण विश्व में महिला दिवस विभिन्न संस्थाओं में मनाया जाकर उनके उत्थान पर विचार विमर्श, उद्बोधन या प्रदर्शनिया लगाई जाकर इतिश्री कर ली जाती है।कई संकल्प लिए जाते हैं किंतु उनको साकार करने पर ध्यान नहीं दिया जाता है। कई देशों में इस दिन सार्वजनिक अवकाश, कहीं महिलाओं के लिए अवकाश, बसों में एक दिन का किराया फ्री करने तक सीमित रहता है। महिला व पुरुष परिवार रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं जब दोनों पहिए दुरुस्त होंगे तभी परिवार रूपी गाड़ी सरपट दौड़ेगी किंतु धरातल पर क्या हम नारी को उसका बराबरी का हक दे पाए हैं।कुछ बिंदुओं पर गौर कीजिए-
- 1.बालिका का जन्म-परिवार में पुत्र के जन्म पर खुशियां मनाते हैं किंतु पुत्री के जन्म पर घर में उदासी छा जाती है यदि एक दो और पुत्री ने जन्म ले लिया तो माता का जीवन नर्क बना दिया जाता है यहां तक कि बेटी के भ्रूण की हत्या तक कर दी जाती है।क्या पुत्र या पुत्री का जन्म देना माता के बस में है?
- 2.शिक्षा-बेटी तो पराया धन है इसको ज्यादा पढाने से क्या फायदा बेटे को उच्च शिक्षा दिलाओ जो कमाई लाकर देगा और वंश को बढ़ाएगा ,क्या आपकी पुत्रवधू किसी की बेटी नहीं है यदि उसका पिता उसे अनपढ़ रखता तो आप पर क्या बितती!
- 3.दहेज दानव-बेटी की शादी में पिता यदि मनवांछित दहेज नहीं देता है तो आप सबको पता है उसकी क्या दशा की जाती है कई बार उसे आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया जाता है या हत्या कर दी जाती है!
- 4.बांझपन-संतान नहीं हो रही है तो पुरुष की बजाय महिला पर दोषारोपण किया जाता है क्या यह उचित है?
- 5.विधवा-यदि महिला विधवा हो जाती है तो उसको जीवन भर तिरस्कार झेलना पड़ता है हर कोई उसकी छाया से दूर भागता है सुबह सुबह या शुभ कार्य में जाते समय उसका मुंह देखना पसंद नहीं किया जाता।
- 6.पुनर्विवाह -पुरुष विधुर होने पर दूसरी शादी करने पर स्वतंत्र है किंतु विधवा को पुनर्विवाह नहीं करने देते उसे तिल तिल कर मरने को मजबूर किया जाता है। मुस्लिम समाज में तो एक से अधिक पत्नी रखने पर भी मनाही नहीं है।
- 7.अन्य-महिलाओं को शुभ मुहूर्त पर पीछे रखते हैं छोटी सी गलती पर कई बार देखने में आता है कि उसे चुड़ैल डायन तक की गाली देते हैं मैला प्रथा में महिलाओं से काम करवाया जाता है घोड़ी पर बैठने की छूट नहीं है(हालांकि कुछ बेटियों को घोड़ी पर बैठा कर बिंदोरी निकलते हैं)जो माता अपने गर्भ में 9 माह तक रखकर जिस संतान को जन्म देती है और जो विश्व की जननी है उसी के साथ सौतेला जैसा व्यवहार!
अस्तु! इन बिंदुओं से समझा जा सकता है कि आज भी हमारी नारी कहां खड़ी है इन पर सकारात्मक दृष्टिकोण रखना होगा ताकि हर घर में इंदिरा गांधी मार्ग्रेट थेचर भंडार नायके प्रतिभा पाटिल द्रौपदी मुर्मू मदर टेरेसा कल्पना चावला किरण बेदी निर्मला सीतारमण कमला हैरिस रानी लक्ष्मीबाई सावित्रीबाई फुले एनी बीसेंट सरोजिनी नायडू अरुणा आसफ अली विजय लक्ष्मी पंडित जैसी महिलाएं उत्पन्न हो और अपना व अपने देश का नाम रोशन करें।
- सुमेरसिंह राव