गेहूं की कटाई एवं थ्रेसिग करने में जुटे है किसान
गुरला (बद्री लाल माली)
गुरला:- नेशनल हाईवे 758 स्थित गुरला क्षेत्र के गांवों में गेहूं फसल की कटाई एवं थ्रेसिग युद्ध स्तर पर चल रही है किसान चिंतित हैं कि न मालूम किस समय बारिश हो जाए और उनके सपने जो अभी खेतों में हैं वहीं बिखर न जाए। गेहूं फसल की कटाई एवं थ्रेसिग युद्ध स्तर पर चल रही है किसान चिंतित हैं कि न मालूम किस समय बारिश हो जाए और उनके सपने जो अभी खेतों में हैं वहीं बिखर न जाए। इसलिए बड़े पैमाने पर गेहूं को खेत से खलिहान लाने का काम जारी है। हालांकि इसमें भी कई समस्याएं सामने आ रही हैं। सबसे बड़ी समस्या मजदूर नहीं मिलने की है। इसकी वजह से खासी परेशानी हो रही है। दरअसल इस मौसम में अधिकांश मजदूर पंजाब हरियाणा गुजरात महाराष्ट्र एवं अन्य प्रदेशों में पलायन कर गए हैं इसलिए मजदूर ढूंढ़ने से भी नहीं मिल रहा। नतीजतन किसान महिला मजदूरों एवं अन्य से किसी तरह गेहूं की फसल समेटने में लगे हैं। आशा के अनुरूप नहीं है उत्पादन भारतीय कृषि मानसून के साथ जुआ है, यह उक्ति बिल्कुल सत्य है। जिसका प्रमाण आज किसानों को फिर से मिल रहा है। प्रारंभिक दिनों में जब गेहूं की फसल को सिचाई के लिए बारिश की दरकार थी तब आकाश में बादल का नामोनिशान नहीं था। किसानों को अपने बूते सिचाई करनी पड़ी ताकि फसलों को बचाया जा सके। वहीं जैसे तैसे फसल जब खेतों में तैयार हो गई तो एक नहीं दो बार तेज हवाओं ने किसानों की रही सही उम्मीदों पर पानी फेर दिया। खेतों में गेहूं की बालियां जमींदोज होने से न सिर्फ दाने के चमक गायब है बल्कि थ्रेसिग के बाद अनाज भी मनमाफिक नहीं आ रहे हैं। इसका मतलब किसानों का नुकसान होना तय है।