पौराणिक नगरी मेड़ता क्षेत्र में मिले 10वीं से 18 वीं सदी के प्राचीन शिलालेख
मेडतासिटी (नागौर, राजस्थान/ तेजाराम लाडणवा) मेड़ता क्षेत्र में अल्प ज्ञात और नवज्ञात प्राचीन शिलालेख से इतिहास को नवीन दिशा मिलेगी। यह प्राचीन शिलालेख यहां के गौरवशाली इतिहास व परंपरा की जानकारी प्रदान करेंगे। बुधवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग लखनऊ शाखा के लिपि प्रवाचक उपनिदेशक डॉ आलोक रंजन तिवारी, कमलेश कुमार व इतिहासकार नरेंद्रसिंह जसनगर, शोधार्थी संजय सेन ,मीरा शोध संस्थान के सचिव श्यामसुंदर सिखवाल व दीपक राखेचा ने मेड़ता के श्री चारभुजा नाथ एवं मीरा बाई मंदिर, मीरा स्मारक राव दूदागढ़, कृषि विस्तार केंद्र, सब्जी मंडी सहित विभिन्न तालाबों के अलावा समीप के डबरानी गांव में स्थित प्राचीन शिलालेखों की लिथो विधि से छापे लेकर संग्रह किया गया। इन शिलालेखों में तालाब व बावड़ी निर्माण ,मंदिरों से जुड़े दान, उत्सव आदि की जानकारी मिली है। इस टीम द्वारा आगामी दिनों में थांवला, मेड़ता रोड ,जनाना ,मूंडवा, कुचेरा ,डेगाना क्षेत्र के शिलालेखों का अध्ययन किया जाएगा ।
छाप विधि से पठन कार्य
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम ने इन शिलालेखों को साफ पानी से धोकर उन पर लिथो कागज चिपकाया और सहाई पोतकर प्राचीन अक्षरों का यथारूप पाठ लिया। शिलालेखों का भारतीय पुरातत्व विभाग के सालाना प्रतिवेदन में प्रकाशन किया जाएगा। हाल ही में मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट और भारतीय सांस्कृतिक निधि ( इंटेक )इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज की टीम के प्रभारी डॉ महेंद्र सिंह तंवर द्वारा भी इन शिलालेखों का अध्ययन किया गया था। इन प्राचीन शिलालेखों पर शीघ्र ही इंटेक द्वारा दस्तावेजी करण करके पुस्तक का प्रकाशन किया जाएगा।