शमसान घाट में बम्बूल व गंदगी का लगा जमावड़ा: भीषण गर्मी व तपती धूप में छांव के अभाव में टेंट बना दागियों का सहारा
बागोर (भीलवाड़ा, राजस्थान/ बृजेश शर्मा) भीषण गर्मी में आग की तरह उठती लूं की लपटें और चौतरफा तपती रेत में दो से तीन घण्टे बैठने का यदि आपको आनंद लेना हो तो बागोर कोठारी नदी स्थित शमसान घाट पर आना होगा। ताकि इस अवसर को जरा नजदीकी से आमजन को भी देखने और महसूश करने का मौका मिल सकेगा। हालांकि इस अवसर को बागोर के वाशिन्दें तो काफी लंबे समय से देखते और महसूश करते चले आ रहे हैं । मगर आज गुजरात, अहमदाबाद व सूरत से आये कई लोगों ने भी देखा और महसूश भी किया। इस दौरान भीषण गर्मी में बैठने के लिए जब कही छांव नहीं मिली तो आनन फानन में टेंट लगवाकर शमसान घाट पर वैकल्पिक छायां की व्यवस्था की गई। ये मौका था गांव के माहेश्वरी समाज के राधेश्याम सेठीया की अंत्येष्टि का।
गांव के भामाशाह व स्वर्गीय राधेश्याम सेठीया के परम मित्र रामस्वरूप सेठीया ने बताया राधेश्याम सेठीया एक धर्मप्रेमी होने के साथ ही साथ धार्मिक आयोजन करवाने में हमेशा अग्रणी रहते थे। और हर धर्मकर्म कार्य में बढ़चढ़ कर भाग लेते हुए भामाशाहो में भी सदा अग्रणी बने रहते थे।
जिसमें जलजुलनी एकादसी कार्यक्रम हो या फिर भागवत कथा हो या फिर प्रभात फेरिया हर कार्यो में भामाशाह सेठीया अपनी भूमिका में सदैव बढ़चढ़ कर बड़ी ईमानदारी के साथ भाग लेकर अपनी जिम्मेदारीयों को बखूबी निभाते भी थे। आज जब इस भामाशाह ने अपनी जिंदगी की अंतिम सांस ली तो इसके चलते शवयात्रा को लेकर दागिये कोठारी नदी स्थित शमसान घाट पहुँचे जहां चौतरफा अंग्रेजी बम्बूलो के साथ गंदगी का आलम बना हुआ देखने को मिला। इस बीच जब भामाशाह सेठीया को मुखाग्नि दी गई तो दागियों को बैठने के लिए कोठारी नदी में कहीं भी छांव तक नहीं मिली। ऐसे में दागियों के बैठने के लिए टेंट लगवाकर वैकल्पिक छायां की व्यवस्था की गई। जिसमें लूं की लपटों और तपती रेत के बीच दो घण्टे तक दागियों ने बैठकर भामाशाह सेठीया का अंतिम संस्कार किया। इस विषय को लेकर वहां पर चली चर्चा में जानकारी निकल कर सामने आई कि बागोर का जाईंदा ब्राह्मण समाज का एक परिवार कुछ वर्षों पहले उदयपुर जाकर बस गया था। आज वही ब्राह्मण परिवार का सुपुत्र नितिन पुजारी भामाशाह के रूप में उभर कर सामने आया हैं जो वर्तमान में कोठारी नदी में शमसान घाट को नया मूर्तरूप दे रहा हैं। जिसका निर्माण कार्य प्रगति पर हैं। जिससे आने वाले दिनों में यहां आने वाले लोगों को शीतल जल के साथ ही बैठने के लिए ठंडी हवादार छायां भी मुनासिब हो सकेगी।
-पूर्व पंचायत ने किए लाखो खर्च फिर भी हालात जस के तस: बागोर कोठारी नदी स्थित शमसान घाट पर व्यवस्थाओं का काफी अभाव होने के चलते इस और किसी का भी ध्यान नही जा पाया हैं। जबकि बागोर एक बड़ा गाँव होने के बावजूद भी यहां अंतिम यात्रा पर आये व्यक्ति के अंतिम पड़ाव पर भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं इसका मूल कारण अव्यवस्थाए और देखरेख का अभाव हैं। जबकि आजकल तो छोटे-छोटे गाँवो में भी शमसान घाट काफी अच्छे बने हुए हैं। हालांकि पूर्व पंचायत ने लाखो रुपये खर्च भी किये और शमशान घाट को दुरुस्त करने का प्रयास भी किया परन्तु वो किसी काम नही आया। ऐसे में बागोर में शमसान घाट के अभी भी हालात जस के तस बने हुए हैं।