प्रशासन का नही भय: मनोरंजन के लिए वन्यजीवों को पकड बना रखा कैदी, गाँव गाँव दिखा रहे खेल
अलवाडा (रामगढ़, अलवर, राजस्थान/ राधेश्याम गेरा) एक तरफ पूर्व केन्द्रिय मन्त्री मेनका गांधी द्वारा वन्यजीवों की रक्षा के लिए वन्यजीव पकडने वालों पर कानूनी कार्यवाही करते हुए उन्हें सलाखों के पीछे पंहुचाने और वन्यजीवों को स्वतन्त्र जीवन जीने की मुहिम चलाई गई।उसके बावजूद यंहा ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को खेल दिखा अपना जीवन यापन करने वाले लोगों द्वारा वन्यजीव बन्दरों को पकड उन्हें डंडे के दम पर प्रशिक्षण दे गांव गांव जा बन्दर बन्दरी का विवाह ,बन्दरिया के रुठ जाने पर बंदर द्वारा डंडे के दम पर घर लाने जैसे खेल दिखा लोगों का मनोरंजन करते हुए दर्शकों से पैसे मांग परिवार का पेट पाल रहे हैं। तो कंही सांप दिखा बीन की धुन पर सांप नचा लोगों का मनोरंजन कर धन कमा रहे हैं। जबकी वन्यजीव पकडना और उन्हें कैद रखना कानूनी अपराध की श्रेणी में आता है। सरकार यदि ऐसे लोगों को मनरेगा में रोजगार दे और वन्यजीव कैद रखने के जुर्म में सजा दे तो शायद वन्यजीव मूक प्राणी स्वतंत्र जीवन जी सकें।