किसान नीति बनें उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ पर्यावरणीय सुरक्षा को संरक्षण देने वाली नीति बनाई जाएं
नीतियों का निर्माण जन हित में होना जरूरी नीति-निर्माताओं को चाहिए कि वर्ग विशेष ( व्यक्ति विशेष, कम्पनी प्रोफिट )को लाभ पहुंचाने हेतु नीतियों का निर्माण ना हो। किसान नीति बनें उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ पर्यावरणीय सुरक्षा को संरक्षण देने वाली नीति बनाई नजाएं।
अलवर / रामभरोस मीना
देश की अर्थव्यवस्था का आधार स्तम्भ रही कृषि व्यवस्था आज उपेक्षा का एक तरफ शिकार हो रहीं दुसरी तरफ किसान स्वयं पिछले दो दस्क से दुर होता चला दिख रहा। नीतियों का निर्माण हमेशा वर्ग विशेष के हितों को ध्यान में रखते, उन्हें प्रोत्साहित करने के उद्देश्य निहित कर बनाई जाती रही जिससे व्यक्ति, वर्ग या कम्पनी विशेष को सर्वाधिक लाभ देने वाली होती आम जन उन नीतियों में कोई सीधा लाभ प्राप्त नहीं कर सकते।
जल नीति, पोल्यूशन नीति, कृषि नीति, शिक्षा नीति ही नहीं चाहे जो नीति बनीं उन सभी में जनता को सीधा लाभ प्राप्त नहीं हो पाया, केन्द्र या राज्यों द्वारा जो लाभ नीति विशेष के तहत् दिया गया कम्पनी को मिला तथा कम्पनी के माध्यम से आम जन के पास पहुंचाया गया जो नीतियों में निर्माण के समय सोची समझी साज़िश का हिस्सा है।
शिक्षा नीति में प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा देना राजकीय स्कूलों को कमजोर बनाने के लिए आर टी ई के तहत् भुगतान करना, उन्हें मजबूत बनाना है, कृषि में किसानों को सीधा लाभ नहीं फर्टीलाइजर उत्पादन करने वालीं कंपनीयों को लाभ देना किसान व खेती के साथ खिलवाड़ है। शिक्षा तथा कृषि क्षेत्र में देय लाभ किसान व शिक्षार्थी के बैंक खाते में डाला जाना चाहिए एक लिमिट के तहत् उससे अधिक खर्च यदि फर्टीलाइजर , बीज , यंत्र, रसायनों पर किया जाए वह स्वयं किसान करें, सरकार को अपनी सीमाओं के तहत् सीधा भुगतान करना जरुरी ओर यह तब ही सम्भव होगा जब किसान नीति का निर्माण होगा ना की कृषि नीति का।