बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज: पिता की अर्थी को दी मुखाग्नि, लोगो की आँखे हुई नम
भीलवाड़ा (राजस्थान/ रामनिवास सैन) जिस पिता का हाथ पकड़कर चलना सीखा। लाड प्यार से पाला, बड़ा किया। अपने पैरों पर खड़ा किया। उसी पिता की अर्थी को जब तीनों बेटियों ने कंधा देकर विदा किया तो लोगों की आंखें नम हो गईं। जिस पिता ने उन्हें लड़कों की तरह पूरी तालीम दिलवाई उस पिता का कर्ज उतारने के लिए लाड़ली बेटियों ने पिता के शव को ना केवल कंधा दिया बल्कि श्मशान घाट जाकर मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार भी किया। गमगीन माहौल के बीच पुरुष प्रधान समाज के सामने बेटियों ने एक उदाहरण पेश कर बता दिया कि लड़के-लड़की समान होते हैं। इस दृश्य को जिसने भी देखा उसकी आंखों से आंसू नहीं रुक सके। बेटियाँ आई आगे बेटा बनकर मुखाग्नि दी भीलवाड़ा शिवम ग्रीन कॉलोनी में जालिया सेकण्ड अजमेर निवासी रामगोपाल सेन सेवानिवृत्त व्याख्याता की अचानक हृदयगति रूकने से निधन होने से बेटा न होने से तीनों बेटियों मोना ,वन्दना व मिनाक्षी सेन ने मन को मजबूत कर अपने पिता की अर्थी को कंधा देकर टंकी के बालाजी मोक्षधाम पहूंच कर पिता को मुखाग्नि दी और बेटे का फर्ज निभाकर समस्त समाज की बेटियों को एक नया संदेश दिया की बेटियाँ भी बेटा ही है | बेटा हो या बेटी अधिकार सबको समान दें तो समाज में फैली अनेक कुरितियों को शिक्षा दीक्षा के माध्यम से समाप्त किया जा सकता है | समाज सोच बदले तो दुनिया बदलेगी | बेटी बचाओ बेटी पढाओ का संदेश जागृत हो सकेगा