सफाई कर्मचारियों की भरमार फिर भी सफाई व्यवस्था बदहाल :वाशिंदे गंदगी में सांस लेने को मजबूर
राजगढ़,अलवर(महेन्द्र अवस्थी)
राजगढ़ पालिका में 162 सफाई कर्मचारियो के बावजूद भी शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह लड़खड़ाई हुई है। ये कहने में कोई अतिशयोक्ति नही होगी कि पालिका में निरंकुश शासन व पालिका के हर विभाग में फैली अनियमितता इसका प्रमुख कारण मानी जा रही है। आपको बता दे कि शहर में 63 स्थायी, 11 दैनिक वेतन भोगी व 82 सफाईकर्मी ठेके पर काम कर रहे है। 35 वार्डो में इतनी बड़ी सफाईकर्मियों की फ़ौज होने के बावजूद पालिका क्षेत्र के वाशिंदे गंदगी में सांस लेने को मजबूर है। इसका सबसे बड़ा कारण रसूखदार व अधिकारियों की कृपा के पात्र इन कर्मियों को मूल काम पर नही लगाना है। इनमें से भी कई इतने रसूखदार है कि वे चेयरमेन व अफसरों की भी परवाह नही करते। लोगो का कहना है कि 2018 की भर्ती के 29 कर्मचारी ऐसे है जिन्हें या तो मौखिक आदेश पर सरकारी अफसरों की कोठियों पर या पालिका के दफ्तर में बाबू गिरी का काम कराया जा रहा है। कुछ बिना प्रशिक्षण के ही फायर स्टेशन पर भी अपनी सेवा दे रहे है। पालिका अधिकारियों की मेहरबानी के चलते इन सफाईकर्मियों को अपने मूल पद पर नही भेजकर एसडीएम, तहसीलदार, डीएसपी, थाने यहां तक कि रैंणी एसडीएम तक लगाया हुआ है।। जबकि इनका भुगतान नगरपालिका से होता है।
सफाई कर्मचारियों को जोन के अनुसार वार्डो में लगाने का काम पालिका की स्वास्थ्य शाखा का है। ऐसे में पालिका प्रशासन का गैर जिम्मेदाराना रवैया पालिका प्रशासन की कार्यशैली पर भी प्रसन्न चिन्ह लगा रहा है। सफाई कर्मचारियों का कहना है कि केवल बाल्मीकि समाज के कर्मचारियों से ही सफाई का काम कराया जा रहा है। जबकि नियमानुसार सरकारी अफसरों की कोठियों पर पालिका से सफाई कर्मचारी लगाने का कोई प्रावधान नहीं है। इसी प्रकार ठेके के 130 सफाईकर्मियों में से वर्तमान में 82 ही सफाई कर्मी काम पर है। सफाई व्यवस्था से परेशान शहर के लोगों ने प्राइवेट सफाई कर्मचारी लगा रखे हैं। मोहल्ले वाले मिलकर उन्हें पैसा भी देते हैं। आमजन का कहना है कि वार्ड में सफाई नही हो रही। बाजार व वार्डो में जिन सफाई कर्मियों की ड्यूटी लगाई जाती है तो वे वहां पंहुचते ही नही। इस संदर्भ में अनेक बार पालिकाध्यक्ष व ईओ को भी अवगत कराया जा चुका है। लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकाला जा सका। कुछ वर्ष पूर्व पालिका ने अधिकारियों के यहां काम कर रहे सफाईकर्मियों को बुलाया था लेकिन फिर से उन्हें धीरे धीरे अधिकारियों की कोठीयो पर भेज दिया गया। सबसे बड़ी बात है यह कि ऐसी जगह केवल रसूखदार सफाई कर्मचारियो को ही लगाया जाता है। एक दर्जन से ज्यादा सफाईकर्मी तो ऐसे भी है जिन्होंने कभी हाथ मे झाड़ू तक पकड़कर नही देखी होगी। वजह, किसी पर विद्यायक मेहरबान तो किसी पर अफसर तो वही कुछ पर नेताओ का वरदहस्त है। सड़क पर पसरे कचरे की दुर्गंध से भले ही जनता का दम निकले तो निकले लेकिन पालिका के अफसरों ने इन कर्मचारियों कभी बाहर निकलने मौका ही नही दिया। पालिका स्वास्थ्य निरीक्षक राजेन्द्र ने बताया कि मूल स्थान पर काम नही करने वाले सफाईकर्मियों की लगातार अनुपस्थिति लगाई जा रही है लेकिन इसका भी कोई असर पड़ता दिखाई नही दे रहा।