दृढ संकल्प ही मनुष्य का सबसे बड़ा प्रायश्चित है : श्याम बाबा
खैरथल अलवर (हीरालाल भूरानी)
कस्बे के वार्ड नंबर 16 स्थित पार्क में वार्ड वासियों द्वारा आयोजित सत्संग समारोह में बाबा आयाराम दरबार के गद्दी नशीन संत जीवण राम उर्फ श्याम बाबा ने उपस्थित सत्संग प्रेमियों को प्रवचन के माध्यम से समझाया कि जिस प्रकार कर्म जीवन का स्वभाव है उसी प्रकार कर्म फल का भोग भी जीवन की अनिवार्यता है। मनुष्य जिस प्रकार के कर्म करता है उस प्रकार का फल उसे न चाहते हुए भी देर - सबेर अवश्य भोगना ही पड़ता है।
जाने - अनजाने मनुष्य से अनेक पाप कर्म बन ही जाते हैं। मनुष्य द्वारा जाने - अनजाने किये जाने वाले उन्हीं पाप कर्मों के फल स्वरूप उसके कर्म फल का भी निर्धारण किया जाता है और उन पाप कर्मों के आधार पर ही उसके दण्ड का भी निर्धारण होता है। उन पाप कर्मों के फल से बचने के लिए शास्त्रों ने जो विधान निश्चित किया गया है, उसी को प्रायश्चित कर्म कहा गया है।
सरल अर्थों में मनुष्य का अपराध बोध ही उसका प्रायश्चित कहलाता है। दैन्य भाव से प्रभु चरणों की शरणागति एवं प्रभु के मंगलमय नामों का दृढ़ाश्रय लेते हुए जानबूझकर आगे कोई पाप कर्म न बने, इस बात का दृढ़ संकल्प ही मनुष्य का सबसे बड़ा प्रायश्चित है।
श्याम बाबा के मीडिया प्रभारी हीरालाल भूरानी एवं प्रमोद केवलानी ने बताया कि सत्संग समारोह के सायं समापन पर उपस्थित सत्संग प्रेमियों को प्रसाद वितरित किया गया।