कौमी एकता की मिशाल: रोजेदार रुखसार ने अंजली के साथ गरीब बच्चों को बुक्स व फल किए वितरित
भीलवाड़ा (राजस्थान/ बृजेश शर्मा) मुस्लिम समुदाय में रमजान के महीने को सबसे पवित्र माना जाता है। इन दिनों में मुस्लिम लोग रोजा रखकर सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत करते हैं। इस्माल में गरीबों को खान खिलाने की बड़ी फजीलत होती है। इन दिनों में बड़े ही नियम के अनुसार रोजा रखा जाता है। इस माह में गरीब लोगों को खाना खिलाना व उन्हें जकात देना सबसे बड़ी इबादत मानी गयी है इसी को लेकर जहाजपुर क्षेत्र की रुखसार,व अंशल सुशांत सिटी निवासी अंजली सिंह चौहान ने बताया कि रमजान के पवित्र माह में गरीबों का हक अदा करने का महीना होता है। इस महीने में गरीबों को खेरात, जकात और सदका दिया जाता है। जो भी मोमिन माल-ए-हैसियत होता है वह अपने माल की जकात मुख्य तौर से इसी महीने में गरीबों को देता है।
कहा जाता है कि रमजान के इस महीने में नेकी करने से 70 गुना सवाब मिलता है। यह महीना अमीर और गरीब के बीच के फासला खत्म करता है और सबको एक समान बनाता है। वास्तव में यह महीना गरीबों को उनका हक अदा करता है। जैसे इस महीने में रोजा रखने का खास महत्व होता है उसी तरह रोजा रखने वाले व्यक्ति को तब तक रोजा इफ्तार नहीं करना चाहिए जब तक वह किसी गरीब रोजेदार को इफ्तार का समान न दे दे। एक मात्र रोजा ही है जो खुदा और बंदे के बीच गुप्त होता है, क्योंकि नमाज पढ़ते हुए व्यक्ति को हर कोई देख सकता है। लेकिन रोजेदार कब क्या खा रहा है इस बात का पता किसी को नहीं होता है।
रोजा रखते समय कई बातों का ध्यान रखा जाता है कि रोजे रखने वाले इंसान को कभी किसी की बुराई नहीं करनी चाहिए। इस दौरान सच्चे मन से रोजा रखने का प्रावधान होता है। इस दौरान रोजा रखने वाले लोगों को अपने अंदर किसी भी तरह का घमंड नहीं रखना चाहिए क्योंकि इससे रोजा अल्लाह की बारगाह में कबूल नहीं होता। खुदा का फरमान है कि रोजा का बदला वह अपने बंदे को खुद देंगे। रोजेदार का हर एक पल इबादत में गुजरना चाहिए। साथ ही रोजा रखने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह ऐसा कोई भी काम न करे जिससे दूसरे को परेशानी हो।