यूक्रेन में फंसे शाहपुरा के पांच मेडिकल स्टूडेंट, परिजन ने सरकार से लगाई बच्चों को सुरक्षित लाने की गुहार
प्रेस क्लब ने उठाया मदद का जिम्मा
भीलवाड़ा (राजस्थान/ बृजेश शर्मा) यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध से बने असुरक्षित माहौल के कारण यूक्रेन में देश भर के हजारों मेडिकल स्टूडेंटो के बीच शाहपुरा के भी पांच मेडिकल स्टूडेंट फंसे हुए हैं। इनके परिजनों को अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर डर सताने लगा है। ऐसे में शाहपुरा प्रेस क्लब के माध्यम से पांचो मेडिकल स्टूडेंटों के परिजनों ने राज्य सरकार व केंद्र सरकार से अपने बच्चों को सुरक्षित लाने की एक मार्मिक अपील की है।
शुक्रवार को प्रेस क्लब में कस्बे के 5 मेडिकल स्टूडेंट जो कि यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं उन्हें वर्तमान परिस्थितियों में से सुरक्षित स्वदेश लाने हेतु मीडिया के माध्यम से केंद्र व राज्य सरकार से गुहार करते हुए बताया कि प्रतिदिन समाचारों में जो रूस और यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध के समाचार मिल रहे हैं, उनसे वे अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर काफी परेशान है। हालांकि बच्चों से ऑनलाइन व मोबाइल से बातचीत करने पर बच्चे माता-पिता का हौसला बढ़ा रहे हैं। परंतु परिजन खांसे परेशान नजर आए। जानकारी अनुसार युद्ध के हालातों के कारण यूक्रेन में जहां आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है वही खाने-पीने का सामान महंगा हो गया और वायु परिवहन बंद होने से भारतीय विद्यार्थी वहां पर परेशान हो रहे हैं।
- 7 घंटे घूमने पर सिर्फ दो केन पानी मिला
शाहपुरा कस्बे के मसाला व्यवसायी जगदीश बोहरा ने बताया कि उनका बेटा रवि कुमार बोहरा पिछले 5 वर्षों से यूक्रेन के उजहोरोद में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। पिछले 5 सालों से कोई असुविधा नहीं हुई परंतु रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला बोले जाने के बाद वहां पर हालात असामान्य हो गए। लोग अपनी जरूरत का सामान एकत्रित करने में जुटे हुए हैं। ऐसे में उनके बेटे को भी करीब 7 घंटे मॉल दर मॉल घूमने के बाद मात्र दो पानी की केन व एक थैला आटे का मिल पाया। एटीएम से पैसा भी नहीं निकल पा रहा
- रूसी सैनिक आमजन को नहीं पहुंचा रहे हैं परंतु भविष्य को लेकर आशंकित
सैलून संचालक महावीर सेन ने बताया कि उनका बेटा ललित किशोर सेन का यह मेडिकल शिक्षा का अंतिम वर्ष था दिसंबर में डिग्री पूरी होने के बाद बेटा लौट आता, परंतु युद्ध के हालातों में बेटे की सुरक्षा को लेकर हम काफी परेशान हैं दिन भर टीवी पर यूक्रेन के ताजा समाचार देखते रहते हैं। उधर उनके बेटे ललित से फोन पर बात करने पर उसने बताया कि वह सुमी यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस कर रहा है। रूसी सैनिक वहां तक पहुंच गए परंतु आम जनता को किसी प्रकार का कोई परेशान नहीं कर रहे उनका टारगेट सिर्फ यूक्रेन सेना के कैंप ही है। फिलहाल वह सुरक्षित है परंतु भविष्य को लेकर आशंकित है।
- कॉलेज मैनेजमेंट नहीं कर रहा है सहयोग
शिक्षक सलीम खान कायमखानी ने बताया कि उनका बेटा एजाज खान यूक्रेन के तरपोपिल से मेडिकल की शिक्षा प्राप्त कर रहा है। पिछले 5 सालों से उन्होंने बताया कि वहां के स्थानीय कॉलेज मैनेजमेंट ऑनलाइन पढ़ाई तो जारी है परंतु मैनेजमेंट द्वारा बच्चों की सुरक्षा व घर वापसी को लेकर किसी भी तरह की कोई मदद नहीं कर पा रहे। भारतीय दूतावास से लगातार संपर्क करने पर वह सिर्फ आश्वासन ही दे रहे हैं। उन्होंने प्रेस क्लब के माध्यम से राज्य व केंद्र सरकार से अपने बच्चों की सुरक्षा की गुहार की
शिक्षा अधिकारी जब्बार खान देशवाली और शिक्षिका जरीना जिनके भी बेटे अब्दुल कादिर और मोहम्मद साहिल टेरणोपिल में ही एजाज के साथ एक मकान किराए लेकर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं की सुरक्षा क लेकर घर वाले काफी चिंतित हैं। उन्होंने भी सरकार से बच्चों को सुरक्षित भारत बुलाने की गुहार की है
- विधायक व सांसद के माध्यम से सरकार तक पहुंचाएंगे बात-सोनी
प्रेस क्लब में स्थानीय नगर पालिका अध्यक्ष रघुनंदन सोनी भी पहुंचे और यूक्रेन में फंसे कस्बे के 5 मेडिकल विद्यार्थियों के परिजनों से बात कर परिस्थितियों की जानकारी ली तथा प्रेस क्लब द्वारा की गई इस पहल की सराहना करते हुए बताया कि वे स्थानीय विधायक कैलाश मेघवाल से राज्य सरकार और सांसद सुभाष बहेड़ीया के माध्यम से केंद्र सरकार के विदेश मंत्रालय तक शाहपुरा के बच्चों की सुरक्षा को लेकर बात पहुंचाएंगे तथा भारतीय अन्य बच्चों के साथ ही इन बच्चों को भी सुरक्षित भारत लाने की व्यवस्था हेतु अपील करेंगे।