महाभृष्टाचार: दो महीने में कचरे के ढेरों पर बिखर गए 24.90 लाख रुपये के डस्टबिन
रामगढ़ नगर पालिका ने किया कचरा पात्र खरीद में भारी घोटाला: बाजार दर से पांच गुना महंगे दाम में टेंडर छोड़ फर्म को किया भुगतान। सरकारी खजाने को करीब बीस लाख रुपये की चपत
घूस की बुनियाद पर हुई खरीद की चौकाने वाली ग्राउंड रिपोर्ट
रामगढ़ (अलवर,राजस्थान/अमित कुमार भारद्वाज) नगर पालिका रामगढ़ द्वारा कचरा पात्र खरीद में बड़े घोटाले का खुलासा करने के बाद इनकी ग्राउंड रिपोर्ट लेने का भी प्रयास किया तो चौकाने वाली हकीकत निकलकर सामने आई।दो महीने पूर्व ही रामगढ़ कस्बे में लगाए गए करीब आधे डस्टबिन कबाड़ में तब्दील पाए गए। चिकित्सालय के सामने मुख्य बस स्टैंड पर पेट्रोल पंप के पास रेलवे फाटक के पासबलदेकी मंदिर मार्ग, बहादरपुर मार्ग, जोशी मौहल्ला, पंचायत समिति व नगर पालिका सहित कई स्थानों पर लगाए गए कचरा पात्र ही बिखर कर सडक किनारे कचरे के ढेरों पर धाराशायी हुए दिखाई दिए।
वजन नहीं सह पाए फ्रेम: निविदा प्राप्तकर्ता फर्म ने इतने हलके फ्रेम में डस्टबिन लगाए कि लगभग आधे डस्टबिन फ्रेम टूटने के कारण यहां- वहां बिखरे पडे मिले। अपने निर्धारित स्थान से दूर कचरे के ढेरों पर दिखाई दे रहे उक्त डस्टबिन ही अब कचरा बढाते नजर आ रहे हैं।
अपनी उपयोगिता पर प्रश्नचिन्ह लग रहे इन डस्टबिन के हालात स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि पालिका अधिकारीयों की रुचि इनकी उपयोगिता सुनिश्चित करने से कहीं अधिक इनकी खरीद तक ही सीमित थी। लेकिन नवगठित नगर पालिका रामगढ़ भ्रष्टाचार का पर्याय बनने जा रही है। कथित रूप से रिमोट कंट्रोल से संचालित इस पालिका के अधिकारी आंख बंद कर विकास के नाम पर सरकारी खजाने को लुटाने में लगे हैं। पालिका में चल रहे भ्रष्टाचार के खेल की पड़ताल मीडिया ने शुरू की तो कस्बा रामगढ़ में लगाए गए कचरा पात्र की खरीद से दुर्गंध उठने लगी।
मार्च में जारी हुई निविदा: नगर पालिका रामगढ़ ने मार्च माह में कस्बा रामगढ़ में डस्टबिन सैट लगाने के लिए 24.90 लाख रुपए की एक निविदा जारी की। कथित रूप से मिलीभगत से टेंडर लेकर डस्टबिन उपलब्ध कराने वाली फर्म सेंच्युरियन ने कस्बे में नीलकमल कंपनी के कुल 164 सैट अप्रैल महीने में लगाए।
चर्चा में रही खरीद: कस्बे में सफाई रखने के लिए 25 लाख रुपये की लागत से मात्र 164 सैट डस्टबिन लगाए जाने पर खरीद में बडा़ घोटाला होने की चर्चा होने लगी।
आरटीआई का जवाब नहीं: कचरा पात्र खरीद में बड़ा घोटाले की चर्चा के बीच कस्बे के कई लोगों ने पालिका अधिकारियों से टेंडर की जानकारी लेने के दर्जनों प्रयास किए।लेकिन अधिकारियों ने पूर्णतत: चुप्पी साध ली। जिसके बाद पूर्व सरपंच शकुंतला सैनी सहित कई लोगों ने नगर पालिका से लेकर जिला कलेक्टर कार्यालय में आरटीआई लगा टेंडर की जानकारी के प्रयास किए। लेकिन अधिकारी पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं।
प्रत्येक डस्टबिन सैट करीब 15 हजार : पालिका ने प्लास्टिक से बने नीलकमल कंपनी के फ्रेम सहित 164 सैट कस्बे में लगवाए।प्रत्येक सेट में 100 लीटर क्षमता के दो डस्टबिन हैं।24.90 लाख रुपए की लागत से लगाए गए प्रत्येक सेट में पालिका को करीब 14600/- रुपये खर्च करने पडे।
बाजार दर मात्र 3 हजार: पालिका द्वारा लगाए गए नीलकमल कंपनी के 100 लीटर क्षमता के एक डस्टबिन की कीमत कंपनी से ली गई तो सीजीएसटी व फ्रेम सहित एक सैट की कीमत मात्र 3078 रुपये आंकी गई।
ये है कंपनी रेट :
एक डस्टबिन कीमत : 1050:00
S/UT GST 9% : 94:50
CGST 9 % : 94:50
कुल कीमत : 1239:00
सैट कीमत : 2*1239=2478
फ्रेम कीमत = 600
कुल कीमत = 3078 रुपये मात्र
यह मीडिया द्वारा कंपनी से ली गई एक डस्टबिन की कीमत पर आधारित आंकलन है।अधिक संख्या में खरीद पर यह माल पहुंच सहित और कम हो सकती है।
इस तरह 164 सैट की 3078 रुपये प्रति सैट से कुल लागत करीब 5 लाख (504792) रुपये मात्र आती है। अधिशाषी अधिकारी के अनुसार पालिका ने कस्बे में सैट लगाने के लिए एक फर्म को 90 हजार में ठेका दिया था। जिसका सही काम नहीं होने पर भुगतान रोक दिया गया है। यदि इस लागत को भी जोड दिया जाए तो पूरे प्रोजेक्ट की कुल लागत करीब 6 लाख रुपये से अधिक नहीं आएगी।
22.50 लाख भुगतान: पिछले 2 महीने से डस्टबिन के पूरे प्रोजेक्ट को लेकर चुप्पी साध कर बैठे अधिशाषी अधिकारी घमंडी राम मीणा को घेरा गया तो उन्होंने स्वीकार किया कि निविदा धारक फर्म सेंचुरियन के मालिक बलराम शर्मा को पालिका की तरफ से 22.50 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया है।
घोटाला छिपाने के लिए जीएसटी का सहारा: सरकारी खजाने को बड़ा चूना लगवा चुके अधिशाषी अधिकारी ने घोटाला छुपाने के लिए कैमरे के सामने झूठ का सहारा लिया। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट में फर्म को ज्यादा फायदा नहीं हुआ है।ईओ के अनुसार 22.50 लाख रुपए के भुगतान में 7.50 लाख रुपए तो जीएसटी ही चला गया।
18 % है टैक्स: कंपनी बिलिंग के अनुसार 1050 के प्रत्येक पीस पर 18% की दर से 189/- रुपये टैक्स है। ऐसे में कुल 328 पीस की खरीद पर कुल 61992/- रुपये टैक्स ही बनता है। जबकि अधिशाषी अधिकारी 7.50 लाख रुपये टैक्स बता इस खरीद घोटाले से बचने का असफल प्रयास करते नजर आए।
देवेंद्र साहू का कहना है कि रामगढ़ नगर पालिका में भ्रष्टाचारी का बहुत बड़ा खेल चल रहा है 3000 का डस्टबिन ₹15000 में लगाया जा रहा है l इससे साफ जाहिर होता है की नगर पालिका अधिकारी की मिलीभगत से ही ठेकेदार ने लाखों रुपए का चूना लगा है सरकार को l इसकी जांच की जाए तो इसमें बहुत बड़ा खेल निकलेगा क्योंकि इसमें विधायक का हाथ भी नजर आ रहा है l नगर पालिका रामगढ़ में भ्रष्टाचारी की सीमा पार हो चुकी है l भ्रष्ट अधिकारियों के मिलीभगत से मोटा खेल चल रहा है