ऐतिहासिक भरतपुर दरवाजा खो रहा अपना अस्तित्व: हादसा होने का अंदेशा, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
वैर (भरतपुर, राजस्थान/ कौशलेन्द्र दत्तात्रेय) कस्वा वैर में राजशाही जमाने में प्रताप सिंह ने दुर्ग के निर्माण के साथ साथ पांच दरवाजों का निर्माण कस्वा की सुरक्षा को ध्यान में रखकर करवाया गया था। जिनमें पूर्व दिशा में बयाना दरबाजा, पश्चिम दिशा में भुसावर दरवाजा, उत्तर दिशा में भरतपुर दरवाजा, दक्षिण दिशा में सीता दरवाजा एवं कुम्हेर दरवाजा , कस्वा में अन्दर इन्हीं दरवाजों में से होकर ही प्रवेश होता था। इन दरवाजों में बड़े किवाड़ भी लगे हुए थे।ऐसा बताया जाता है कि रात्रि के समय कस्वा की सुरक्षा को ध्यान में रखकर किवाड़ों को बन्द कर दिया जाता था।
लेकिन समय बीतने के साथ ही कस्वा की सुरक्षा भी अपने अस्तित्व को नहीं बचा पाई । क्यों कि आज कस्वा से बाहर भी लोगों ने अपनी रहवास बना ली है। अब बात करते हैं भरतपुर दरवाजे की तो दरवाजा काफी लम्बे समय से धाराशाई हो रहा है ।दरबाजे के ऊपर हनुमान जी का पुराना मंदिर भी है। साथ ही दरवाजे की सीमा में बिधुत विभाग के टा्सफार्मर भी रखे हुए है। विधुत सप्लाई की काफी केविलों का जाल यहां से गुजर रहा है।इस दरवाजे से अंदर बाहर कस्वे के अधिकतर लोगों का आना जाना लगा रहता है। तथा दरवाजे के आस पास लोगों का रहना भी है।कब जाने क्या हो सकता है कह नहीं सकते। लेकिन प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।