वैर कस्बे में एक जुलाई को निकाली जाएगी भगवान श्रीराम की रथयात्रा
वैर (भरतपुर, राजस्थान/ कौशलेन्द्र दत्तात्रेय) कस्बा वैर में राजा प्रतापसिंह के राजशाही जमाने से ही भगवान् श्रीराम का रथयात्रा मेला भरता चला आ रहा है। कोरोना महामारी के चलते गत दो साल से सीताराम जी मन्दिर से भगवान् तो श्रीराम की रथयात्रा नहीं निकाली जा सकी थी लेकिन इस बार भगवान् श्रीराम की रथयात्रा एक जुलाई (शुक्रवार) को निकाली जायेगी भरतपुर जिला मुख्यालय से 47 किलोमीटर दूर बसे ऐतिहासिक कस्बा वैर में आयोजित इस ऐतिहासिक रथयात्रा मेले में लम्बे समय से चली आ रही परम्पराओं के भी दर्शन होते हैं। लोग इसमें पारिवारिक और व्यक्तिगत जीवन के झंझटों की चारदीवारी से बाहर आकर एक दूसरे से आपस में मिलकर हंसते,बोलते हुए भगवान् की झांकी के दर्शनों के लिए लालायित हो उठते हैं। मेले में समाज की विभिन्न जाति, सम्प्रदाय और ऊंच नीच की सीमाऐं लांघकर परस्पर एकता और आत्मीयता की भावना पुष्ट होती है। यह मेला लोगों के मनोरंजन, मन बहलाव और उनके आर्थिक विकास के साधनों के साथ-साथ धार्मिक भावना का भी संचरण करता है।
यह रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को सीताराम जी मन्दिर से बैण्डबाजों के साथ भगवान् श्री राम के जयघोष के साथ निकलती है। दूसरे दिन सीताराम जी मन्दिर के सामने मेला भरता है, जहां बाहर से आकर दुकानदार अपनी दुकानें लगाते हैं। सांस्कृतिक एंव धार्मिक महत्व के इस मेले में रथयात्रा प्रारंभ होने से पूर्व मंन्दिर की दीवार पर सगुन के तौर पर साबुत गोला फेंककर फोडा जाता है तथा हल्की बारूद भरकर रैंकरा चलाया जाता है, जिसकी गूंज काफी दूर तक लोगों को सुनाई देती है।
मंन्दिर प्रांगण से रथयात्रा प्रारंभ होने से पूर्व भगवान् श्रीराम, लक्ष्मण एंव सीता माता की प्राचीन प्रतिमाओं को काष्ठ से बने रथ मे आरूढ़ कराया जाकर एंव आरती उतारकर रथयात्रा शुरू होती। भगवान् श्री सीताराम जी के रथ को दो बड़े रस्सों के सहारे भक्तजनों द्वारा खींचा जाता है।रथयात्रा का कस्बे में जगह-जगह भव्य स्वागत किया जाकर भगवान राम के रथ के नीचे से नवजात शिशुओं को निकाला जाकर उनकी दीर्घ आयु की कामना की जाती है| भगवान राम के इस रथ पर कस्बा वासियों द्वारा चढावा चढाकर अपनी श्रद्धा का इजहार किया जाता है| रथयात्रा को देखने के लिए आसपास के गांवों के लोग भी पहुँचते हैं।