बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद शास्त्री ने आमजन से भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए परंपरा का पालन करने का किया आह्वान
वर्तमान में मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र शास्त्री का भारत ही नहीं अपितु विदेशों में भी सनातन धर्म की ध्वजा को डंके की चोट के साथ गाड़ चुके हैं। जिनकी चर्चा टेलीविजन मोबाइल के साथ आमजन के मुख से सुनी जा सकती है कि कोई भी महिला पुरुष बच्चे अपने मन में बालाजी महाराज, सन्यासी बाबा और बागेश्वर धाम का स्मरण कर अपने संकट और उनके निवारण की अर्जी अपने घर पर या बागेश्वर धाम पहुंचकर लगाई जाए तो उनकी अर्जी स्वीकार होने पर दिव्य दरबार में चलते कार्यक्रम के मध्य उन्हें बुलाकर उनके मन में मनन किए गए प्रश्न से अवगत करा कर उनके संकट के निवारण हेतु उपाय से अवगत करा कर कष्ट दूर किए जाते हैं। रविवार को राजस्थान के सीकर जिले में छोटी लोसल में महाराज धीरेंद्र शास्त्री के द्वारा दिव्य दरबार लगाया गया जिसमें अनेकों प्रांतों सहित कठूमर क्षेत्र से भी कमल कांत शर्मा, सागर शर्मा के नेतृत्व में श्रद्धालुओं का एक दल पहुंचा,
इस दौरान कठूमर कस्बा निवासी अशोक भारद्वाज के द्वारा वास्तविक सत्य जानना चाहा और अपने मन में आखिर सत्य क्या है विचार करते हुए कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। मन में कुछ विचारों को लेकर बैठे हुए थे की कुछ देर बाद माइक पर आवाज लगने पर स्टेज पर पहुंचे तो आश्चर्यजनक जो प्रश्न उनके मन मस्तिष्क में थे वह उन्होंने एक कागज पर लिखकर पहले रखे हुए थे और उनके मन के विचारों को सबके सामने रख दिया गया। आश्चर्यजनक इस प्रकार उनके अवगत कराने पर आमजन को भी दांतो तले उंगली दबाने पड़ी और ईश्वर के प्रति भावना कर्मठ हुई। इस दौरान धीरेंद्र शास्त्री के द्वारा कार्यक्रम में कहा गया कि इस पावन पवित्र राजस्थान भूमि में जन्मे संत महात्मा वीर शिरोमणि के अलावा राजस्थान की भूमि में समर्पण की भावना से घोड़े भी देशभक्ति की भावना लेकर अपना बलिदान कर शौर्य दिखाते हैं नमन है ऐसी भूमि को और जहां एक दूसरे को राम-राम सा कहने पर गर्व महसूस करते हैं और अपनत्व की भावना को लेकर अतिथियों के लिए हमेशा समर्पण के लिए तैयार रहते हैं। तथा सनातनी धर्म संस्कृति और अपनी परंपरा को अपनाने के साथ किसी भी धर्म की निंदा नहीं करने का आह्वान किया गया। इस दौरान कार्यक्रम में हजारों लोगों की अर्जी नहीं लगने पर कुछ मायूस भी दिखाई दिए।