अनुसंधान में बरती लापरवाही अब पुलिस अधिकारियों पर गिरी कोर्ट की गाज: 14 साल पुराने मामले में एफआईआर देना पड़ा महंगा
14 साल पुराना कार चोरी का मामला, कोर्ट ने एक माह में मांगी रिपोर्ट: अनुसंधान अधिकारी, थानाअधिकारी और एसपी के खिलाफ कार्यवाही के लिए आईजी को लिखा पत्र
भीलवाड़ा (राजस्थान/ राजकुमार गोयल) पुलिस सिस्टम पर सवाल- अनुसंधान अधिकारी सहित उच्च अधिकारियों पर गिरी कोर्ट की गाज एफआर देना पड़ा महंगा, अनुसंधान में बरती लापरवाही से आई जी को दिए कार्रवाई के निर्देश। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या 1 भीलवाड़ा न्यायालय के जज श्री रूपेंद्र जी चौहान ने पुलिस महानिरीक्षक अजमेर रेंज को पुलिस थाना सिटी कोतवाली के संबंधित अनुसंधान अधिकारी सहित उच्च अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के सख्त निर्देश दिए हैं कोर्ट ने यह आदेश परिवादी निर्मल नागौरी के अधिवक्ता श्री ललित कुमावत एवं श्री मनीष नागोरी द्वारा 14 साल पुराने मामले में पुलिस द्वारा कोर्ट में पेश अपार को ओपन कर निष्पक्ष और सही उचित दिशा में अन्वेषण का परिणाम रिपोर्ट पेश करने बाबत प्रस्तुत की गई याचिका की सुनवाई के दौरान दिए हैं इसमें कई संबंधित अनुसंधान अधिकारियों की ओर से कोर्ट के द्वारा समय-समय पर पारित कई आदेशों की खुलेआम अवहेलना कर अवमानना की गई तथा लापरवाही पूर्वक रवैया अपनाकर कोर्ट के आदेशों की पालना नहीं करते हुए दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया गया कोर्ट ने परिवादी के अधिवक्ता श्री ललित कुमावत एवं श्री मनीष नागोरी की बहस में रखे गए तर्कों को सुनने के बाद और अनुसंधान अधिकारी तथा उच्चाधिकारियों द्वारा 14 साल बाद कोर्ट में पेश अंतिम परिणाम रिपोर्ट एवं उपलब्ध दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद संबंधित अनुसंधान अधिकारी सहित उच्च अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश पुलिस महानिरीक्षक रेंज अजमेर को जारी करते हुए विस्तृत आदेश पारित किया गया कोर्ट ने आदेश में नाराजगी जाहिर करते हुए उल्लेखित किया कि कई मर्तबा कोर्ट द्वारा जारी किए गए विभिन्न आदेशों की पालना करने हेतु अनुसंधान अधिकारी थाना अधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक भीलवाड़ा को प्रकरण में नतीजा प्रस्तुत करने और न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों की पालना करने के आदेश इस किया जाने के बावजूद भी पुलिस द्वारा पारित आदेशों में दिए गए निर्देशों की अनदेखी करते हुए लापरवाही पूर्वक एवं रूठी पूर्ण नतीजा कोर्ट में पेश किया है जो अनुसंधान अधिकारी की लापरवाही एवं कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के प्रति अनादर की श्रेणी में आता है।
गौरतलब है कि मामले में संबंधित अनुसंधान अधिकारी रामलाल जाट उप निरीक्षक जसवंत सिंह उप निरीक्षक राजूराम उप निरीक्षक और उच्चाधिकारियों में नकारात्मक अंतिम परिणाम रिपोर्ट तैयार करने वाले थाना अधिकारी मुकेश वर्मा निरीक्षक तथा मामले में एफआर अदम बकवा दम झूठा दिए जाने के संबंध में निर्णय लेने वाले वर्ता अधिकारी नरेंद्र दायमा पुलिस व्रत शहर भीलवाड़ा शामिल है कोर्ट के आदेशानुसार संबंधित अनुसंधान अधिकारी और उच्चाधिकारियों द्वारा न्यायालय के आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं किए जाने के संबंध में कार्रवाई कर की गई कार्रवाई से एक माह में न्यायालय को सूचित कराने का आदेश भी पारित किया गया 14 साल पहले परिवादी निर्मल नागौरी ने पुलिस थाना सिटी कोतवाली में अज्ञात के खिलाफ कार चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई जिसमें पुलिस द्वारा एक बार पेश कर दी गई जबकि परिवादी ने अपने स्तर पर चुराई गई कार तथा अज्ञात आरोपी के बारे में पता कर पुलिस को जानकारी दी गई जिसके द्वारा चुराई गई कार को आगे से आगे भेज दी गई लेकिन इसके उपरांत भी पुलिस ने अपने स्तर पर आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करी याचिका में कहा गया कि आरोपी के पक्ष में पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर गठित अपराध की महत्वपूर्ण साक्ष्य विलोपित कर अनुसंधान अधिकारी द्वारा आरोपी से मिला भगती कर उसे गठित अपराध के ढंग से बचाने के आशय से एवं परिवादी को क्षति करीत करने के आशय से विधि के निर्देश की अवज्ञा कर अंतिम रिपोर्ट विधि के प्रतिकूल दूषित पेश की गई है इस प्रकार मामले में पुलिस ने उचित एवं सही दिशा में संतोषजनक ढंग से प्रभावी निष्पक्ष त्वरित अन्वेषण का अपना कर्तव्य नहीं निभाया है।
Files