सोच समझकर बोलना चाहिए जेएलएफ़ मे सीएम अशोक गहलोत को नसीहत दे गए-शशि थरूर
पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को नकारा - निकम्मा, गद्दार - कोरोना कहने पर सांसद शशि थरूर ने सीएम अशोक गहलोत को नसीहत दी है। उन्होंने कहा- जब हम अपने साथियों के बारे में बोल रहे हैं तो सोच समझकर बोलना चाहिए। मैंने विरोधियों को भी ऐसे शब्द नहीं कहे थरूर शनिवार को जयपुर लिटरेचर फ़ेस्टिवल (जेएलएफ) में गहलोत की ओर से पायलट को गद्दार और कोरोना कहने को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा- मुझे राजनीति में 14 साल का वक्त हो गया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को नसीहत दी है। थरूर ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत को सोच समझ कर बोलना चाहिए। फेस्टिवल में जब उनसे पूछा गया कि गहलोत ने पायलट को नकारा और निकम्मा कहा था। इस बारे में उनकी क्या राय है। इसका जवाब देते हुए थरूर ने कहा कि जब हम अपने साथियों के बारे में बोल रहे हैं, तो हमें सोच समझ कर बोलना चाहिए। थरूर ने कहा कि उन्हें राजनीति में आए 14 साल से ज्यादा का वक्त हो गया। उन्होंने आज तक कभी किसी के लिए उकसाने वाले या गलत शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया । थरूर ने कहा कि वे राजनीति में कभी कीचड़ कुश्ती नहीं खेलना चाहते। तभी तो कई विषयों को उन्होंने इग्नोर कर दिया।
विचार अलग हो सकते हैं पर ऐसे शब्दों से बचना चाहिए
शशि थरूर ने कहा कि वे अपने सभी साथियों से अपील करना चाहेंगे कि अपने ही भाई बहनों के लिए ऐसा कहना अच्छा नहीं है। अपने मतभेद मिटाने की कोशिश करनी चाहिए, ना कि मतभेद बढाने वाले बयान देने चाहिए। थरूर ने कहा कि एक ही पार्टी में अलग अलग नेताओं के विचार अलग अलग हो सकते हैं लेकिन अपनी बात कहने के दूसरे तरीके भी हो सकते हैं। जरूरी नहीं कि विरोध प्रकट करने के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाए पार्टी में सभी को प्रेम भाव से साथ रहना चाहिए। नकारा, निकम्मा और गद्दार जैसे शब्द तो विरोधियों के लिए भी इस्तेमाल नहीं करने चाहिए। शशि थरूर ने कहा कि एक ही पार्टी में अलग अलग नेताओं के विचार अलग अलग होना स्वभाविक है। सभी राजनैतिक दलों में ऐसा होता है। कोई भी दल ऐसा नहीं जिसमें सभी नेता किसी विषय पर एक राय हो लोकतंत्र में दो व्यक्तियों की राय में फर्क हो सकता है। अगर आप एक ही मकसद के लिए लड़ रहे हैं तो नेतृत्व कौन करेगा, यह तो पार्टी को तय करना पड़ेगा। पार्टी में और भी नेता हैं जो नेतृत्व क्षमता रखते हैं लेकिन नेतृत्व को पार्टी के आलाकमान को ही तय करना है। अगर बीजेपी में या कांग्रेस में कोई नेता पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि दूसरे नेताओं में काबिलियत नहीं है। कांग्रेस में भले ही अलग अलग नेताओं के विचार अलग अलग हों लेकिन सभी नेता बीजेपी के खिलाफ हैं। सांसद शशि थरूर ने कहा कि पिछले 21 सालों से उन्होंने कोई किताब नहीं लिखी है। राजनीति और देश के दूसरे बड़े विषयों पर काम करने के कारण उन्हें किताब लिखने का समय नहीं मिल पा रहा है। व्यस्तता के कारण ही उन्हें रोमांस पर पुस्कत लिखने का मौका नहीं मिला। जब राजनीति से सन्यास ले लूंगा तो रोमांस और अन्य विषयों पर खुलकर अपनी बात लिखूंगा। थरूर ने कहा कि उन्हें रोमांस पर लिखने और नोबेल को लेकर कई चिट्ठियां मिलती है।
मैंने किसी के बारे में कभी भी ऐसा कुछ कहने या उकसाने की कोशिश नहीं की। मैं राजनीति में कभी भी कीचड़ कुश्ती नहीं करना चाहता। यही सोचकर मैंने काफी मुद्दों को अवॉइड किया। थरूर ने कहा- मैं अपने साथियों से यही गुजारिश करता हूं कि अपने ही भाई-बहनों के बारे में ऐसा कहना अच्छा नहीं है। हमें अपने मतभेदों को मिटाने की कोशिश करनी चाहिए। लोगों के अलग-अलग विचार भी हो सकते हैं। इसे कहने के दूसरे तरीके भी हो सकते हैं। मैं भी चाहूंगा कि पार्टी के अंदर हमें एक-दूसरे से प्रेम से रहना चाहिए। मैंने अपने विरोधियों को भी ऐसे शब्द नहीं कहे
पार्टी में दो राय हो सकती हैं, लेकिन सभी भाजपा के खिलाफ
थरूर ने कहा- हमारे देश में कोई भी पार्टी हो उसके अंदर सबकी एक जैसी राय नही है भाजपा में भी हर विषय पर हर व्यक्ति की एक ही राय नहीं है। मेरा मानना है कि लोकतंत्र में दो लोगों की राय में फर्क हो सकता है। अगर आपकी विचारधारा एक है और आप एक ही मकसद के लिए लड़ रहे हैं, तो अंत में कौन लीड करेगा। यह तो पार्टी को तय करना पड़ेगा। वैसे भी मुझे रोमांस पर लिखने और नोबेल को लेकर कई चिट्ठियां मिलती हैं। ऐसे में वक्त मिलने कोशिश करूंगा। पर इस पर जरूर लिखूंगा ।
कोई न कोई मतभेद सभी जगह होते हैं
उन्होंने कहा- भाजपा में कौन-कौन ANUA नेतृत्व कर रहे हैं। कांग्रेस में कौन-कौन नेतृत्व कर रहे हैं। इसका मतलब ये नहीं। है कि दूसरे लोग भी अपने आप को कामयाब नहीं मानते हैं। अभी वो लोग अधिकार में नहीं है। किसी भी पार्टी में अंदरूनी लड़ाई मेरे ख्याल में हकीकत है। कुछ न कुछ, कोई न कोई मतभेद सभी जगह होते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी में सभी की सोच अलग हो सकती है। सभी कांग्रेसी नेता बीजेपी के खिलाफ हैं। सांसद ने कहा- मैंने पिछले 21 सालों से किताब नहीं लिखी है, क्योंकि मैं राजनीति और देश से जुड़े महत्वपूर्ण विषय में काम कर रहा हूं। यही कारण है कि मुझे रोमांस के बारे में भी लिखने का मौका नहीं मिल पाया। जब आप सभी मुझे राजनीति से बाहर भेज देंगे, तब रोमांस और दूसरे मुद्दों पर लिखने की