जीवन में संस्कारों का अति महत्व है : मुनि प्रतीक
भीलवाड़ा (राजस्थान/ राजकुमार गोयल) आज जगत में संस्कारों का ही महत्व है। हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा सुसभ्य, शिक्षित व संस्कारवान बनें। उनकी भावना रहती है कि बच्चा घर में आने वाले सभी लोगों पर अपना अच्छा प्रभाव डालने वाला हो। संस्कारों से संस्कारित व्यक्ति परिवार में भी आराम से रह सकते हैं। अन्य के प्रति भी सद्व्यवहार करने में सक्षम हो सकते हैं और ऐसा संस्कारी जीवन समाज में भी अपने सदव्यवहार की छाप छोड़े बिना नहीं रह सकता। यह विचार तेरापंथ भवन पुर में विराजित तपस्वी मुनि प्रतीक कुमार ने जैन विद्या व शिशु संस्कार बोध की परीक्षा के प्रमाण पत्र वितरण समारोह में रखे। मुनिश्री ने आगे कहा संस्कार वह शक्तिशाली तथा पोस्टिक टॉनिक है जो व्यक्ति को स्वावलंबी बनाता है तथा जीवन को पवित्र निर्मल बनाता है। इसके लिए व्यक्ति जैन विद्या के उपक्रम से जुड़ने का प्रयास करें जिससे व्यक्ति की ज्ञान चेतना का विकास हो सकेगा, सुसंस्कारमय वातावरण में वह जी सकेगा। यदि जैन जीवन शैली का जीवन जीना है तो हमें ज्ञान के उपक्रमों से जुड़ना होगा और अपने जीवन को सफल बनाना होगा। मुनि शपदम कुमार व मुनि मोक्ष कुमार भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पधारे भाजपा के जिला मंत्री अनिल चौधरी ने अपने ओजस्वी वक्तव्य में कहा कि आज की पीढ़ी के लिए संस्कारों का बीजारोपण होना बहुत जरूरी है। यदि धार्मिक संस्कारों से हम अपनी आने वाली पीढ़ी को दूर रखेंगे तो इसमें हमारा ही नुकसान होगा। आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ की दूरदृष्टि थी कि वर्षों पहले ही उन्होंने ज्ञानशाला जैन विद्या जैसे उपक्रम को प्रारंभ कर दिया था जिससे भावी पीढ़ी संस्कारित हो सके। कार्यक्रम में जैन विद्या और शिशु संस्कार बोध के सत्र 2022 के प्रमाण पत्र व पारितोषिक मुख्य अतिथि, सभा अध्यक्ष व सभा मंत्री द्वारा वितरित किए गए। तेरापंथी सभा अध्यक्ष उमेदमल सिंघवी ने स्वागत वक्तव्य दिया। आभार ज्ञापन ज्ञानचंद कोठारी ने किया एवं कार्यक्रम का सफल संचालन दिनेश नाहर ने किया।