नगर परिषद की कार्यप्रणाली के खिलाफ पार्षदों का फूटा गुस्सा: अनिश्चितकालीन धरना व भूख हड़ताल की दी चेतावनी
भीलवाड़ा (राजस्थान) सोमवार सुबह नगर परिषद में उस समय माहौल गर्म हो गया जब वार्ड नं 31 के पार्षद प्रतिनिधि एवं पूर्व पार्षद नवीन सभनानी सभापति एवं आयुक्त को ज्ञापन सौपने आये, परंतु उन्हें दोनों ही नही मिले, बाद में फोन करने पर जनता चेयरमैन राकेश पाठक तो आ गए लेकिन आयुक्त दुर्गा कुमारी नही आई, जिससे एक बारगी पार्षदों ने ज्ञापन आयुक्त की कुर्सी पर ही चिपकाने की चेतावनी दे डाली। सभनानी ने मीडिया से बात करते हुए चेतावनी भरे लहजे में कहा कि हमारे अभी तक के कार्यकाल में कुछ भी विकास के कार्य नही करवाये गए है, यदि इसी प्रकार की कार्यप्रणाली नगर परिषद की रही और आगामी 7 दिवस में कार्यवाही नही की गई तो वह नगर परिषद में अनिश्चितकालीन धरने व भूख हड़ताल पर बैठेंगे। सभनानी ने बताया कि आयुक्त एवं सभापति दोनों ही नगर परिषद में नही मिलते है। सभनानी द्वारा कई बार उनको फोन करने पर भी मिलने के लिए समय मांगा गया परंतु वह नही मिले।आज जब सभनानी ज्ञापन देने जा रहे थे तब भी आयुक्त एवं सभापति नगर परिषद में मौजूद नही थे, जिन्हें बाद में फोन कर बुलाया गया। सभनानी द्वारा यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने अतिक्रमण की कई शिकायतें लिखित में दे रखी है, उसके बावजूद भी कोई कार्यवाही नही होती है। आयुक्त और सभापति की सांठ-गांठ एवं मौन स्वीकृति से पूरे शहर में अवैध कॉम्प्लेक्स के निर्माण कार्य जारी है, जिन पर उच्च न्यायालय के नोटिस के बावजूद भी किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नही की गयी है। पार्षदों द्वारा उक्त विषय के संबंध में राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन जिला कलेक्टर आशीष मोदी को भी सौंपा गया, जिस दौरान पार्षद ओम पाराशर, राजेश सिंह सिसोदिया, सहवृत पार्षद योगेश सोनी, सुशीला बैरवा, पार्षद प्रतिनिधि नवीन सभनानी आदि मौजूद थे।
विदित रहे कि सभापति चुनाव के समय भाजपा को पूर्ण बहुमत हासिल नही हो पाया था और उस समय निर्दलीय पार्षदों के दल को नवीन सभनानी के नेतृत्व में ही अलग बाड़ेबंदी में रखा गया था, जिसका सारा प्रबंधन सभनानी द्वारा ही किया जा रहा था और निर्दलीय पार्षदों के समर्थन से ही उस समय पाठक सभापति के पद पर आसीन हुए थे। अब सभनानी द्वारा ही सभापति और आयुक्त पर लापरवाही और अनदेखी के आरोप लगाना किस और इशारा कर रहे है??
नगर परिषद भीलवाड़ा के पूर्व बोर्ड में भी भाजपा की सभापति ललिता समदानी को भी शहर विधायक एवं पार्षदों की नाराजगी का सामना करना पड़ा था और अपना पद खोना पड़ा था।समदानी के खिलाफ पार्षदों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया गया और वो पारित हो गया था, जिससे समदानी को सभपति पद से हाथ धोना पड़ा था और समदानी को भाजपा पार्टी से भी निष्कासित कर दिया गया था। साथ ही आमजन में इस प्रकार की चर्चा भी है कि समदानी के खिलाफ भी इसी प्रकार से मुखालफत की शुरआत हुई थी और जिन मुद्दों जैसे कि भ्रष्टाचार, अवैध निर्माण, पार्कों के रख-रखाव, साफ-सफाई, सड़क इत्यादि पर समदानी को हटाया गया था, वो जनहित के मुद्दे अभी तक भी जीवित है और उनका समाधान इस कार्यकाल में भी अभी तक भी नही हो पाया है और ना ही पिछले कार्यकाल की शिकायतों की जांच हो पाई है, ना ही किसी प्रकार की कार्यवाही अमल में लाई जा सकी है। साथ ही आमजन अभी तक भी नगर परिषद से त्रस्त एवं परेशान नजर आ रहे है और भीलवाड़ा शहर की जनता नगर परिषद के इस नए कार्यकाल में भी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है।