ककराना में ब्रह्मलीन संतों की वार्षिक बरसोंदी धूमधाम से मनाई:रात्रि में हुआ विशाल भजन संध्या का आयोजन
उदयपुरवाटी / चंंवरा (सुमेर सिंह राव)
राजस्थान शुरू से ही संत महात्माओं, सूरवीरों, दानवीरों और वीरांगनाओं की भूमि रहा है। ऐसे में प्राचीन काल से ही अनेक परोपकारी संत महात्माओं के किस्से ग्रंथों में प्रचलित है। प्राचीन काल में ऐसे ही संत महात्माओं ने ककराना गांव के मेघवाल परिवार में जन्म लिया था। जिन्हें दादोजी के नाम से जाना जाता है। ककराना गांव में आज से तकरीबन 500 वर्ष पूर्व इन ब्रह्मलीन संतो की समाधियां बनी हुई है। हर वर्ष इनकी वार्षिक बरसी मनाई जाती है। बुधवार को निर्जला एकादशी के दिन रात्रि में मुरारी लाल शर्मा सलीम एंड पार्टी द्वारा विशाल भजन संध्या का आयोजन किया गया। भजनों की रंगारंग प्रस्तुतियों से श्रद्धालु झूम उठे। वही द्वादशी के दिन महाआरती के पश्चात ब्रह्मलीन संतो को प्रसाद का भोग लगाकर क्षेत्र की सुख समृद्धि की कामना की गई। इन समाधियों पर आज भी बिना दीपक के ज्योति आती है। भक्त शीलाराम गोठवाल इनकी पूजा अर्चना करते हैं।
मांगूराम गोठवाल, व्याख्याता सतपाल गोठवाल व लेखाधिकारी विजयपाल गोठवाल ने बताया कि 500 वर्ष पूर्व हमारे गोठवाल परिवार में जन्मे महापुरुषों ने यहां जीवित समाधि ली थी। दोनों ही संत सगे भाई थे। जो परमात्मा की भक्ति में हरदम विलीन रहते थे और परोपकार करते थे। उस समय उनके चमत्कारों के किस्से दूर-दूर तक फैले हुए थे। कुछ समय पश्चात दोनों संतों ने एक साथ जीवित समाधि ले ली। उनका पालतू कुत्ता हमेशा ही उनके साथ रहता था। संतों की समाधियों के साथ उनके पालतू कुत्ते की भी समाधि बनी हुई है। यहां आने वाले भक्तगण तीनों की पूजा अर्चना कर प्रसाद का भोग लगाते हैं। उन्होंने बताया कि पूर्वजों के बताए अनुसार संतो के समाधि लेने के बाद उनका पालतू कुत्ता 3 दिन तक उसी स्थान पर बैठा रहा। अचानक समाधिस्थ संतों की कृपा हुई और धरती फटकर कुत्ते के लिए अलग से समाधि बनी और उसने भी जीवित समाधि ले ली। तब से लगातार ब्रह्मलीन संतों की समाधियों पर पूजा-अर्चना होती रही है। पिछले 40 वर्षों से लगातार इनकी वार्षिक बरसी मनाई जाती है। जेष्ठ सुदी एकादशी के दिन यहां समस्त गांव वालों द्वारा विशाल भजन संध्या का आयोजन किया जाता है। द्वादशी के दिन महाआरती के पश्चात पूरे गांव वालों द्वारा संतो को प्रसाद का भोग लगाया जाता है।उन्होंने बताया कि यहां भक्ति भाव से आने वाले जात्रियों के असाध्य रोग भी दूर होते हैं। जो भी भक्त सच्चे मन से इन संतों को याद करता है उसकी हर मुराद पूरी होती है। इस दौरान समाजसेवी विजेंद्र सिंह इंद्रपुरा, सरपंच ममता सैनी, दिनेश कुमार महरानियां, मेघराज टेलर, हीरालाल गिरदावर, डॉ अशोक कुमार गोठवाल, अध्यापक ओमप्रकाश गोठवाल गढला, सेवानिवृत्त अध्यापक गणपत लाल, सोहनलाल गोठवाल, सतपाल बाय, सुमेर सिंह तूंनवाल, बनवारीलाल शेरावत, हरिकिशन तूंनवाल, राजेश कुमार तूंनवाल, जगदीश प्रसाद गोठवाल, जयचंद सैनी, दुलीचंद गोठवाल, बजरंग सिंह शेखावत, बनवारीलाल गोठवाल, घासीराम तूदंवाल सहित काफी संख्या में महिला एवं पुरुष मौजूद रहे।