आचार्य आनंद ऋषि म.सा. के 121 वे जन्मोत्सव को सामूहिक सामायिक के रुप मे मनाया
आसींद (भीलवाडा,राजस्थान/ रूपलाल प्रजापति) साध्वी विनीतरूप प्रज्ञा ने कहा कि आचार्य में तनिक भी अंहकार की भावना नही थी। उन्होंने अपने नाम के अनुरूप ही जीवन को जिया, सरलता और सहजता आचार्य में इतनी थी कि उन्हें युगो - युगो तक याद किया जायेगा। साध्वी आनन्दप्रभा ने कहा कि हम आचार्य के जितने गुणगान करे उतने कम है। बदनोर श्रीसंघ भाग्यशाली है कि आचार्य ने उनके यहा पर चातुर्मास किया । संघ के संरक्षक शांति लाल बनवट ने आचार्य के जीवन पर पूरा प्रकाश डालते हुए कहा कि 21 वर्ष तक आनंद ऋषि म.सा. आचार्य के पद पर रहे उन्होंने 13 वर्ष की आयु में ही दीक्षा ले ली थी। समारोह को संघ अध्यक्ष चन्द्र सिंह चौधरी, उपाध्यक्ष भँवर लाल कांठेड़, मंत्री देवी लाल पीपाड़ा, कोषाध्यक्ष पुखराज कूकड़ा, महिला मंडल अध्यक्षा मंजू कर्नावट , वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीमाल ने आचार्य के जीवन पर प्रकाश डाला। बालिकाओं में अन्ताक्षरी प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें प्रथम आयुषी कोठारी, द्वितीय काजल कांठेड़, तृतीय नेहा बड़ोला विजेता रही। महिलाओं में एक श्वास में नवकार मंत्र बोलने में प्रथम मंजू चौधरी, द्वितीय सुधा रांका, मंजू कर्नावट, तृतीय कमला चौधरी, मधु कूकड़ा, चंचल चौधरी रही। बाहर से आये आगन्तुको का संघ ने स्वागत किया।